जन्मदिन विशेष: आशा भोसले के रिश्ते बड़ी बहन लता मंगेशकर से नहीं थे ठीक? क्या है हकीकत, पढ़िए
मख़मली आवाज़ वाली गायिका आशा भोसले अपनी 90वीं सालगिरह मना रहीं हैं।
यूं तो वो सुरों की मलिका लता मंगेशकर की छोटी बहन हैं लेकिन फ़िल्म इंडस्ट्री में ख़ुद का अपना एक अलग मुक़ाम उन्होंने अपनी मेहनत और शानदार गायकी से बनाया। लोग अक्सर कहतें हैं कि उनके अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर से रिश्ते हमेशा तल्ख़ ही रहे। आखिर कैसा था आशा भोसले का अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर से रिश्ता?
लता मंगेशकर एक ऐसा नाम जो आज किसी तार्रूफ़ का मोहताज नहीं है। दुनिया के लिए, हिंदुस्तानी फ़िल्म म्युज़िक का वो सितारा थीं। भारत-रत्न लता मंगेशकर, जिनकी चमक रहती दुनिया तक क़ायम रहेगी। लता जी के बारे में हमारा पड़ोसी मुल्क़ पाकिस्तान भी हमेशा कहता आया कि हिंदुस्तान के मुक़ाबले में हमारें यहां दो चीज़ें नहीं हैं, पहला ताजमहल और दूसरी लता मंगेशकर। लता जी पहली ऐसी हिंदुस्तानी गायिका थीं जिन्हें लंदन के अल्बर्ट रॉयल हॉल में स्टेज शो करने के लिए बुलाया गया था। इंग्लैंड की महारानी एलिज़ाबेथ ने भी उन्हें अपने पैलेस में बुलाकर मेहमान नवाजी की थी।
वहीं, दूसरी तरफ़ उनकी छोटी बहन आशा भोसले भी आज किसी तार्रूफ़ की मोहताज नही हैं। उनकी वर्साएलिटी सिंगिंग ने उन्हें ना सिर्फ़ हिंदुस्तान में ही बल्कि पूरी दुनिया में शोहरत दिलाई। जहां लता मंगेशकर सादगी से भरे गाने गातीं थीं तो वहीं उनकी छोटी बहन आशा भोसले ज़्यादातर कैबरे, हिपॉप और डिस्को सांग्स गातीं थीं। दोनों बहनों में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ था, लेकिन ऐसा नहीं है कि आशा भोसले ने कभी कोई सादगी भरा गाना या ग़ज़ल नहीं गाई, बल्कि वो हर किस्म के म्युज़िक में ख़ुद को ढाल लेती थीं।
उन दिनों मीडिया में इस बात की गॉसिप ज़्यादा होती थी कि दोनों बहनों के बीच रिश्ते ठीक नहीं हैं, दोनों आपस में बातें नहीं करतीं हैं, लेकिन ये सब महज़ एक अफ़वाह थी। दोनों बहनों का रिश्ता हमेशा ही अच्छा रहा वो अलग बात है की दोनों अपने अपने काम में इतना मसरूफ़ रहतीं थीं की ज़्यादा मिलना जुलना नहीं हो पाता रहा होगा, जिसको मीडिया में अलग ही रंग दिया गया था।
कुछ बातों को लेकर लता जी कुछ वक़्त के लिए आशा जी से नाराज़ थीं। वो भी सिर्फ़ इसलिए की उन्होंने महज़ 16 साल की उम्र में ही परिवार की मर्ज़ी के खिलाफ़ जाकर लता जी के सेकेट्री गणपतराव भोसले से शादी कर ली थी। आशा जी के इस क़दम के बाद दोनों बहनों में दूरियां बढ़ गई थींष लेकिन बाद में लता जी और उनका परिवार मान गया था हालांकि आशा जी की ये शादी ज़्यादा लम्बी नहीं चल पाई बाद में उन्होंने मशहूर संगीतकार आर.डी.बर्मन से 47 साल की उम्र में दूसरी शादी कर ली, जिन्हें फ़िल्म इंडस्ट्री में पंचम दा के नाम से जाना गया।
एक इंटरव्यू में जब लता जी से पूछा गया कि आप पर हमेशा ये इलज़ाम लगता है कि आपने ही अपनी छोटी बहन आशा भोसले को उनके करियर में आगे नहीं बढ़ने दिया। इस पर लता जी जवाब देते हुए कहा था कि ऐसा बिल्कुल नहीं है। अगर आगे नहीं बढ़ने दिया होता तो आशा आज इतनी आगे होती और दूसरी ख़ास बात ये भी है कि उसका और मेरा स्टाइल दोनों पूरी तरह से बिल्कुल मुख़्तलिफ़ था। जहां मैं एक दम सीधे और सादे गाने गाती हूं। वहीं आशा कैबरे और डिस्को ज़्यादा गाती है। उसका और मेरा कोई मुक़ाबला ही नहीं था। इस लिहाज़ से, तो ये सब बातें बस लोगों नें अपने आप से गढ़ ली थीं।
जब लता जी से आगे पूछा गया की आपने कभी मीडिया में आकर अपने और आशा जी के रिश्तों पर कभी कोई सफ़ाई भी नहीं दी। इस पर लता जी ने कहा था कि सफ़ाई किस बात की देती जब हम दोनों के बीच ऐसी कोई बात ही नहीं थी। सफ़ाई देने का मतलब तो ये हो जाता है कि हां ज़रूर कोई अनबन है। इन दोनों के बीच में कुछ है तभी लता मंगेशकर मीडिया के सामने आकर अपनी सफ़ाई दे रहीं हैं।
लता जी नें आगे बताया, “हम दोनों के बीच में कभी प्रोफ़ेशनल मुक़ाबला था ही नहीं। आशा ने अपनी सिंगिंग का एक अलग ही स्टाइल बना रखा था, जो मैं बिल्कुल नहीं कर सकती थी। पंचम के साथ मैंने भी काफ़ी गाने गाए हैं, जो की आशा के स्टाइल से बिल्कुल अलग क़िस्म के थे। मैंने ‘कटी पतंग’ में पंचम के लिए ‘ना कोई उमंग है’ गाना गया था, तो वहीं इसी फ़िल्म में ‘मेरा नाम है शबनम’ गाना आशा ने गाया था जो की मैं कभी नहीं गा सकती थी, उसे आशा ही गा सकती थी।”
जब लता जी से उनके आशा जी के डुएट गाना गाने के दौरान एक-दूसरे की तरफ पीठ करने की गॉसिप के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने जवाब दिया, “मुझे नहीं पता इसकी शुरुआत कहां से हुई। हम दोनों की एक दूसरे से अलग दिशाओं में देखते हुए एक गाना रिकॉर्ड करते हुए एक तस्वीर सामने आई थी। इसका मतलब ये नही हुआ की हम दोनों आंख से आंख मिलाकर नहीं गा सकते थे। सच्चाई से आगे कुछ भी नहीं हो सकता है। आशा और मैंने एक साथ हक़ीक़त में सिंगिंग को एन्जॉय किया है जब भी हमें मौका मिला। हम दोनों के बीच में कभी कोई कम्पटीशन नहीं था। मैंने हमेशा आशा के लिए अच्छा ही चाहा है और उसने भी मुझे हमेशा अपनी बड़ी बहन की तरह ही चाहा है।”
आशा भोसले अपने इंटरव्यू में हंसते हुए बताया कि जब दीदी के साथ गाना गाने का मौक़ा मिलता था तो उसे मैं एक चैलेंज की तरह लेती थी कि दीदी अगर बीस है तो मैं उननीस तो ज़रूर गाऊंगी। दीदी के साथ गाने का मतलब ऐसा था कि जैसे एक पहाड़ से टकराना। फ़िल्म उत्सव के लता जी के साथ अपने डुएट के बारे में उन्होंने बताया कि जब दीदी ने अपने स्टाइल में गाने की पहली लाइन गाई “मन क्यूं बहका रे बहका आधी रात को” तो फिर उसके आगे मैंने भी उनसे बेहतर गाने की कोशिश करते हुए अपनी अगली लाइन गाई “बेला महका रे महका आधी रात को” जब मैंने ये लाइन गाई तो दीदी ने अपने चश्मे का फ़्रेम नीचे करते हुए मुझे देखा और कहा वाह, वो आगे बतातीं हैं की दीदी से ये तारीफ़ पाना मेरे लिए किसी बड़े अवॉर्ड के पाने से कम नही था। आशा भोसले ने आगे बताया कि दीदी जल्दी किसी की तारीफ़ नही करती थीं। इसलिए उनका मेरी तारीफ़ करते हुए वाह कहना मेरे लिए बहुत बड़ी बात थी।
आज लता जी को याद करते हुए आशा जी इमोशनल हो जातीं हैं और बताती हैं कि लता मंगेशकर बनना आसान नहीं है। दीदी हम सब भाई बहनों के लिए एक मां से कम नही थीं। उसने बाबा के गुज़रने के बाद हम सब को अच्छी तरह संभाला। हम सब को कभी किसी बात की कमी नहीं महसूस होने दी। हम सब के लिए ही उसने कभी अपना घर नहीं बसाया। आज उसके चले जाने से ऐसा महसूस होता है कि जैसे हम सब ने एक बार फिर से अपनी मां को खो दिया है।
(न्यूज़ नुक्कड़ के लिए अतहर मसूद का लेख)