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आर्थिक मोर्चे पर एक और बुरी खबर है, उपभोक्ताओं को इस सरकार पर बिल्कुल भरोसा नहीं!

उपभोक्ताओं का भरोसा मोदी सरकार पर पिछले 6 सालों में सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को अपनी मौद्रिक नीति रिपोर्ट जारी की है।

जिसमें ये कहा गया है कि इस साल सितंबर में उपभोक्ताओं का भरोसा सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि current situation index 89.4 तक पहुंच गया। आपको बता दें कि इससे पहले ये इडेक्स 2013 सितंबर में सबसे खराब दर्ज किया गया था। उस वक्त यह 88 अंक तक पहुंच गया था।

कैसे किया जाता है उपभोक्ता विश्वास सर्वेक्षण?

RBI  हर तिमाही में उपभोक्ताओं विश्वास सर्वेक्षण करता है। जिसमें अलग-अलग शहरों के करीब 5 हजार लोगों उनकी आर्थिक स्थिति को लेकर राय मांगी जाती है। सर्वेक्षण में पांच आर्थिक मुद्दों पर उपभोक्ताओं का मनोभाव नापा जाता है- आर्थिक हालत, रोजगार, मूल्य स्तर, आमदनी और खर्च।

Consumer Confidence survey में मुख्य रूप से मौदूगा हालात और भविष्य की अपेक्षाओं के इंडेक्स बनाए जाते हैं। मौजूदा स्थिति उपभोक्ताओं द्वारा महसूस किये गए आर्थिक बदलावों से नापी जाती हैं। वहीं भविष्यकालीन अपेक्षाओं के लिए आगे आने वाले एक साल में आर्थिक परिस्थितियों पर उपभोक्ताओं की राय मांगी जाती है। आपको बता दें कि जब मौजूदा  स्थिति की दर 100 से ऊपर होती है तब उपभोक्ता आशावादी होते हैं और 100 से नीचे होने पर निराशावादी माना जाता है।

क्यों गिरा विश्वास?

उपभोक्ताओं का विश्वास गिरने की सबसे बड़ी वजह नोटबंदी को बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी के बाद उपभोक्ताओं का विश्वास गिरा और ये दिसंबर 2016 तक उपभोक्ता निराशावादी रहे। हालांकि इसी साल हुए लोकसभा चुनाव वक्त उपभोक्ताओं में थोड़ा आशाएं बढ़ी थीं। तब वर्तमान स्थिति इंडेक्स 104.6 तक पहुंच गया था, लेकिन ये लंबे वक्त तक बना नहीं रह सका चुनाव के ठीक बाद वर्तमान स्थिति इंडेक्स तेजी से नीचे गिरना शुरू हो गया।

रिपोर्ट में बताया गया है कि उम्मीदों की तरफ देखें तो रिजर्व बैंक के मई, जुलाई और सितंबर के सर्वेक्षण चक्र में उपभोक्ताओं की विश्वसनीयता लगातार कम होती गई है, क्योंकि सामान्य आर्थिक स्थितियों और रोजगार परिदृश्य के प्रति मनोभाव कमजोर बना हुआ था।

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