भारत के मिशन मून पर रवाना हुआ ‘बाहुबलि’, जानिए चंद्रयान-1 से कितना अलग है चंद्रयान-2?
चंद्रयान-2 की सोमवार को सफलतापूर्वक लॉन्चिंग हो गई। चंद्रयान-2 को श्रीहरिकोटा (आंध्रप्रदेश) के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से बाहुबलि रॉकेट से 2:43 बजे GSLV-MK3 से लॉन्च किया गया।
इस लॉन्च के साथ ही चंद्रयान-2 की 48 दिन की यात्रा शुरू हो गई है। चंद्रयान-2 अंतरिक्ष यान 13 अगस्त तक पृथ्वी के चारों तरफ चक्कर लगाएगा। इसके बाद 13 अगस्त से 19 अगस्त तक चांद की तरफ जाने वाली लंबी कक्षा में यात्रा करेगा। 19 अगस्त को चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में पहुंचेगा। इसके बाद ये 31 अगस्त तक चांद के चारों पर चक्कर लगाएगा। फिर 1 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा और चांद के दक्षिणी ध्रुव की तरफ यात्रा शुरू करेगा।
आपको बता दें कि पहले चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई की रात 2:51 बजे होनी थी, लेकिन तकनीकी खराबी की वजह से लॉन्चिंग को टाल दिया गया था। ISRO ने एक हफ्ते के अंदर सभी तकनीकी खामियों को ठीक कर लिया फिर इसे सोमवार को लॉन्च किया गया।
इसरो चेयमैन ने जताई खुशी
चंद्रयान-2 के सफल लॉन्चिंग इसरो के चेयरमैन के सिवन ने खुशी जताई है। उन्होंने कहा, ”ये ऐलान कर बहुत खुश हूं कि जीएसएलवी-3 ने चंद्रयान-2 को धरती से 6 हजार किमी दूर कक्षा में स्थापित कर दिया है। ये हमारी ऐतिहासिक यात्रा की शुरुआत है।” इसके साथ ही इसरो चेयमैन ने कहा कि अगले डेढ दिन में जरूरी टेस्ट किए जाएंगे, जिससे तय होगा कि मिशन सही दिशा में है।
पीएम मोदी ने दी बधाई
चंद्रयान-2 की सफल लॉन्चिंग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को बधाई दी। उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”चंद्रयान 2 की सफल लॉन्चिंग से बड़ा सभी हिंदुस्तानियों के लिए गर्व का पल क्या हो सकता है, ये इसलिए भी खास है क्योंकि ये चंद्रयान-2 चांद के उस हिस्से पर उतरेगा, जहां अब तक कोई नहीं गया है। इससे चांद के बारे में हमें नई जानकारी मिलेगी। चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग के लिए वैज्ञानिकों ने जो मेहनत की है, उससे युवाओं को काफी प्रेरणा मिलेगी।”
चंद्रयान-1 के मिशन से कितना अलग है चंद्रयान-2 मिशन?
चंद्रयान-2 एक तरह से चंद्रयान-1 मिशन का ही अपडेटेड वर्जन है। इसमें ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर शामिल हैं। चंद्रयान-1 में सिर्फ ऑर्बिटर था, जो चंद्रमा की कक्षा में घूमता था। जबकि चंद्रयान-2 के जरिए भारत पहली बार चांद की सतह पर लैंडर उतारेगा। ये लैंडिंग चांद के साउथ पोल पर होगी। इसके साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान उतारने वाला पहला देश बन जाएगा।
चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद ऑर्बिटर एक साल तक काम करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पृथ्वी और लैंडर के बीच कम्युनिकेशन करना है। ऑर्बिटर चांद की सतह का नक्शा भी तैयार करेगा। वहीं जबकि, रोवर चांद की सतह पर खनिज तत्वों की मौजूदगी का पता लगाएगा।