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बुलंदशहर में गोकशी के नाम पर हुए बवाल और पुलिस इंस्पेक्टर की मौत का जिम्मेदार कौन?

बुलंदशहर में गोवंश के अवशेष मिलने के बाद जमकर बवाल हुआ है। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़प में एक पुलिस इंस्पक्टर और प्रदर्शनकारी की मौत हो गई। प्रदेश सरकार ने जांच के आदेश दे दिए हैं।

बुलंदशहर में अवैध बूचड़खाने और गोवंश के अवशेष मिलने के बाद जमकर बवाल हुआ है। भीड़ के तांडव में एक इंस्पेक्टर समेत दो लोगों की मौत हो गई। इंस्पेक्टर की मौत प्रदर्शनकारियों की फायरिंग से हुई। जबकि एक प्रदर्शनकारी बुरी तरह जख्मी हो गया। जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई है। प्रदर्शनकारियों ने थाने और कई गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।

बताया जा रहा है कि कुछ हिंदूवादी संगठनों को ये जानकारी मिली थी कि ट्रक में भर कर गायों को बूचड़खाने ले जाया जा रहा था। जैसे ही ये जानकारी मिली भारी संख्या में लोग इकठ्ठा हुए और ट्रक से गायों को उतार कर ट्रक में आग लगा दी। लोग अवैध बूचड़खाने का विरोध कर रहे थे। जिसके बाद स्याना थाने के पुलिस इंस्पेक्टर सुबोध कुमार पुलिसबल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस ने लोगों को समझाने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारी नहीं माने और देखते ही देखते वो उग्र हो गए।

इस दौरान हिंसा पर उतारू भीड़ को काबू करने के लिए पुलिस ने बचाव में हवाई फायरिंग की। इसके बाद भीड़ में से भी पुलिस पर गोली चलाई गई, जिसमें से एक गोली वहां मौजूद इंस्पेक्टर सुबोध सिंह के सिर में लगी। प्रदर्शनकारियों ने कई जगहों पर पुलिस पर हमला कर दिया है। कई पुलिस चौकियों और गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया है।

बुलंदशहर में तनाव को देखते हुए भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दिया गया है। प्रदेश सरकार ने मामले की जांच एडीजी इंटेलीजेंस को सौंप दी है। इसके साथ ही मेरठ रेंज के महानिरीक्षक की अध्यक्षता में SIT का गठन भी कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि इस हिंसा में तीन गांव के करीब चार सौ लोग शामिल हैं।

इस पूरे घटनाक्रम पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने प्रतिक्रिया दी है। ट्वीट कर उन्होंने ग्रामीण और पुलिस इंस्पेक्टर की मौत पर दुख जताया है। पूर्व सीएम ने प्रदेश सरकार पर हमला करते हुए लिखा कि ”बीजेपी के शासन में उत्तर प्रदेश हिंसा और अराजकता के दुर्भाग्यपूर्व दौर से गुजर रहा है।”

गौरतलब है कि घटनास्थल के पास में ही मुस्लिम समुदाय का एक धार्मिक कार्यक्रम चल रहा है, जिसमें बड़ी संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग मौजूद हैं। हालांकि सोमवार को इस कार्यक्रम का आखिरी दिन है। ऐसे में यहां आए ज्यादा लोग वापस लौट गए हैं, लेकिन कुछ लोग अभी भी वहीं हैं।

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