पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाया जाए तो एक झटके में दोनों की कीमत में 12-15 फीसदी तक कम हो जाएगी।
पेट्रोल डीजल के दामों में लगातार हो रही बढ़ोत्तरी को लेकर देश में राजनीतिक माहौल गर्म है। विपक्ष ने सोमवार को इसे लेकर बंद बुलाया और सरकार से पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने की मांग की, लेकिन सरकार पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने से पहले ही इनकार कर चुकी है। सरकार ने साफ किया है कि अगर राज्य सरकार जनता को राहत देना चाहती हैं तो वो पेट्रोल-डीजल पर वैट कम कर सकती हैं। ऐसे में सवाल है कि केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में क्यों नहीं लाना चाहती और इससे आम जनता को क्या फायदा होगा।
दरअसल मौजूदा स्थित में अगर पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाया जाए तो एक झटके में दोनों की कीमत में 12-15 फीसदी तक कम हो जाएगी। जो पेट्रोल अलग-अलग राज्यों में 75-89 रुपये के बीच मिल रहा है वो GST के दायरे में आने के बाद करीब 60 रुपये के करीब मिलेगा। जबकि डीजल की कीमत 50 रुपये के आस-पास होगी। आज पेट्रोल-डीजल पर राज्य और केंद्र सरकारें अलग-अलग टैक्स लगाती हैं। जहां केंद्र सरकार मोटी एक्साइज ड्यूटी लगाती है वहीं राज्य सरकारें मोटा VAT लगाती हैं। माना जाता है कि एक देश एक टैक्स के तहत पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाया जाए और दोनों पर 40 फीसदी जीएसटी भी लगा दी जाए उसके बाद भी पेट्रोल और डीजल के दाम पर 15 से 18 रुपए तक कम हो सकती है। फिलहाल देश में GST के तहत टैक्स की चार दरें हैं। सबसे कम 5 फीसदी, उसके बाद 12, फिर 18 और सबसे ज्यादा 28 फीसदी टैक्स वसूला जाता है।
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