दिल्ली में दिवाली से पहले घुटा लोगों का दम, शहर गैस चेंबर में तब्दील
दिल्ली में दिवाली से पहले ही दम घुटने लगा है। दिल्ली-एनसीआर गैस चेंबर में तब्दील हो गया है। दिवाली बुधवार को यानी कल है, लेकिन उससे पहले राजधानी में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है।
दिल्ली-एनसीआर की हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंचने के चलते ‘आपातकालीन’ और ‘गंभीर से भी ज्यादा घातक’ श्रेणी वाली हवा में स्वस्थ लोगों को भी गंभीर समस्याएं होने लगती हैं और सामान्य गैस मास्क बेअसर हो जाते हैं। यहां तक की मार्निग वॉक या किसी भी समय की वॉक से मना किया जाता है। साल 2016 और 2017 में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने पर स्कूलों को कुछ दिनों के लिए बंद करना पड़ा था।
पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से निकली जहरीली हवा के असर से प्रदूषण का स्तर उच्च हो गया। सोमवार को शाम 4 बजे दिल्ली में हवा की गुणवत्ता (एक्यूआई) 426 रही, शाम 7 बजे यह 435 पर आ गई। एक्यूआई स्केल में हवा की गुणवत्ता 0 से 500 के स्तर पर मापी जाती है।
एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (सफर) का कहना है कि यह स्थिति दिवाली तक बनी रहेगी। हालांकि, अगर दिवाली पर पटाखों से होनेवाला प्रदूषण नहीं हुआ, तो इसमें थोड़ा सुधार हो सकता है। लेकिन, इसके आसार बेहद कम ही नजर आ रहे हैं।
सफर का कहना है, “पिछले साल की दिवाली की तुलना में अगर आधे पटाखे भी चलाए गए तो हवा की स्थिति अत्यधिक खराब हो जाएगी और हालात 8-9 नवंबर तक बदतर बने रहेंगे।”
अगर हवा की ऐसी स्थिति लगातार 48 घंटे तक रहती है तो पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) के निर्देश लागू हो सकते हैं। ऐसे में दिल्ली में ट्रकों के प्रवेश पर प्रतिबंध लग जाएगा, साथ ही पार्किं ग शुल्क में वृद्धि, वाहनों की ऑड-इवन योजना जैसे कदम भी लागू होंगे।
राष्ट्रीय मानदंडों के मुताबिक हवा में पीएम 2.5 और पीएम10 स्तर क्रमश: 60 और 100 से कम होना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह मानक तो क्रमश: 25 और 50 यूनिट ही है।
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) की शांभवी शुक्ला ने आईएएनएस को बताया, “इस बार ईपीसीए ने पहले ही निर्देश जारी कर दिए हैं। इसलिए ऐसी स्थिति अगर दिवाली के अगले दिन तक रहती है, तो कई प्रतिबंध लागू हो सकते हैं।”
मौसम का पूर्वानुमान बताने वाली निजी एजेंसी स्काईमेट के निदेशक महेश पलावत ने कहा, “रविवार की शाम तक दिल्ली में पूरवैया हवा चल रही थी, जिससे हवा की गुणवत्ता सुधर रही थी। लेकिन, उसके बाद से एकाएक हवा का रुख बदल कर उत्तरी-पश्चिमी हो गया, जिससे पंजाब और हरियाणा के स्मॉग दिल्ली में आ गए, जो पराली के जलाने से पैदा होते हैं।”