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सीबीआई विवाद: पढ़िए पूरे विवाद पर सुुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा के खिलाफ पूरे मामले की जांच सेंट्रल विजिलेंस कमीशन यानि सीवीसी करेगी। कोर्ट ने कहा कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव कोई भी नीतिगत फैसला नहीं लेेंगे।

सीबीआई का असली बॉस कौन है इसको लेकर जारी विवाद के बीच शुक्रवार को इस केस की सुनवाई हुई। इस दौरान उच्चतम न्यालय ने कहा कि सीबीआई डायरेक्टर खिलाफ पूरे मामले की जांच सेंट्रल विजिलेंस कमीशन यानि सीवीसी करेगी। कोर्ट ने सीवीसी को दो हफ्ते में जांच पूरी करने को कहा है। सीवीसी की जांच की निगरानी खुद सुप्रीम कोर्ट करेगा। सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ सीवीसी जांच की निगरानी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश एके पटनायक को नियुक्त किया है। सीबीआई के इस फैसले को केंद्र को झटके के रूप में देखा जा रहा है।

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव कोई भी नीतिगत फैसला नहीं लेेंगे। वो सिर्फ रूटीन का कामकाज ही देखेंगे। यही नहीं अंतरिम निदेशक द्वार लिए गए फैसले को भी एक बंद लिफाफे में सुप्रीम कोर्ट में सौंपना होगा। कोर्ट ने अपने फैसले में केंद्र  सरकार, सीबीआई और सीवीसी को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सभी अपना-अपना पक्ष कोर्ट के सामने रखें। मामले की अगली सुनवाई 12 नवंबर को होगी।

आपको बता दें कि कोर्ट में दायर अपनी याचिका में आलोक वर्मा ने ये दलील दी थि कि सीबीआई निदेशक की नियुक्ति करने वाली समिति में प्रधानमंत्री, मुख्य न्यायाधीश और नेता विपक्ष शामिल रहते हैं। सीबीआई निदेशक की नियुक्ति 2 सालों के लिए की जाती है और कार्यकाल के दौरान बिना इस समिति की अनुमति लिए सीबीआई डायरेक्टर को हटाया या उनका तबादला नहीं किया जा सकता है।

याचिका में वर्मा ने ये भी दावा किया था कि उन्हे पद से गलत ढंग से हटाने के बाद अंतरिम निदेशक ने सीबीआई के अधीन कई बड़े मामलों में अधिकारियों में फेरबदल करने का फैसला लिया है। छुट्टी पर भेजे गए आलोक वर्मा ने आशंका जाहिर की है कि ऐसे फैसलों से जांच प्रभावित हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को इस मामले में अस्थाना ने भी याचिका दायर की। हालांकि, चीफ जस्टिस ने उनके वकील की दलीलें सुनने से इनकार करते हुए कहा कि उनकी फाइल कोर्ट के सामने नहीं है।

सबसे बड़ी अदालत के फैसले के बाद पूरे मामले में केंद्र सरकार की तरफ से सफाई आई है। केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा ”सरकार किसी एक व्यक्ति के पक्ष या विपक्ष में नहीं है। हम सिर्फ सीबीआई की संस्थागत ईमानदारी और उसकी छवि बनाए रखना चाहते हैं। ताजा घटनाक्रमों के चलते सीबीआई की विश्वसनीयता कम हुई। सीवीसी ने निष्पक्षता बनाए रखने के लिए ही दो बड़े अफसरों को छुट्टी पर भेजने की सिफारिश की थी। दो हफ्ते में जांच का खत्म होना एक सकारात्मक पक्ष होगा।”

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