अयोध्या में 6 दिसंबर से पहले 1992 जैसा माहौल, क्या हैं मंसूबे? बाबरी के पैरोकार ने की सुरक्षा की मांग
अयोध्या में एक बार फिर वैसा ही माहौल तैयार हो गया है जैसा कि 1992 में दिसंबर के महीने में था। यही वजह है कि बाबरी मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी ने सुरक्षा की मांग की है और सुरक्षा नहीं मिलने पर पलायन की चेतावनी दी है।
6 दिसंबर करीब है। इससे पहले अयोध्या में हलचलें तेज हो गई हैं। अयोध्या में इस बार ठीक वैसे ही भीड़ है जैसे दिसंबर 1992 में थी। 6 दिसंबर, 1992 को इसका नतीजा ये हुआ था कि बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया था। ऐसे मे सवाल ये है कि इस बार क्या तैरारी चल रही है। आखिर मनसूबे क्या हैं? अयोध्या में बढ़ती भीड़ और हलचल को देखते हुए लोग डरे हुए हैं। राम मंदिर को लेकर बढ़ती हलचल और हिंदू संगठनों के संभावित कार्यक्रमों ने बाबरी मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी की भी चिंताएं बढ़ा दी हैं। अंसारी ने 1992 को याद करते हुए कहा, “1992 में भी ऐसे ही भीड़ बढ़ी थी। कई मस्जिदें तोड़ी गई थीं और मकान जला दिए गए थे।”
अंसारी ने कहा कि आयोध्या में भीड़ बढ़ रही है ऐसे में हमारी और मुसलमानों की सुरक्षा बढ़ाई जाए। उन्होंने कहा कि अगर सुरक्षा नहीं बढ़ाई गई तो वो 25 नवंबर तक यहां से पलायन कर देंगे। 25 नवंबर को शिवसेना और विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में लाखों लोगों की भीड़ जुटने की संभावना जताई जा रही है। राम मंदिर के मुद्दे पर संतों से चर्चा के लिए शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे अयोध्या पहुंचने वाले हैं। इसी दिन विश्व हिंदू परिषद ने भी अपने कार्यक्रम में लाखों लोगों के जुटने का दावा किया है।
अयोध्या का माहौल गर्म हो रहा है। यही वजह कि बाबरी मस्जिद के पैरोकार इकबाल अंसारी ने प्रशासन से सुरक्षा की मांग की है। आरएसएस और वीएचपी नेताओं ने लोकसभा चुनाव से पहले राम मंदिर का निर्माण शुरू कराने के लिए किसी भी हद तक जाने की चेतावनी दी है। इस मुद्दे पर बीजेपी के नेता भी बयान दे चुके हैं। मामला कोर्ट में है, बावजदू इसके राम मंदिर को लेकर बयानबाजी जारी है। वीएचपी के कुछ नेताओं ने तो 6 दिसंबर से मंदिर निमार्ण का काम शुरू कराने तक की बात कह दी है। जाहिर है ऐसे माहौल में वहां रह रहे लोग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्हें 6 दिसंबर, 1992 का वो दिन याद आ रहा है, जब मंदिर-मस्जिद के नाम पर कई बेगुनाहों की जान चली गई थी।