उत्तराखंड के कई पहाड़ी इलाकों में सड़कें नहीं होने की वजह से मरीजों को मेन सड़क तक ले जाने के लिए ग्रामीणों को कुर्सी की पालकी का सहरा लेना पड़ता है।
एक ऐसी तस्वीर जोशीमठ विकासखंड के सुदूरवर्ती गांव किमाणा में सामने आई है। जहां 12 लोग बीरमार हो गए। सभी को उल्टी और दस्त की शिकायत है। उल्टी-दस्त से 11 साल की बच्ची की मौत हो गई। बच्ची की मौत के बाद उसकी मां की तबीयत भी बिगड़ गई। ऐसे में ग्रामीणों ने उसे कुर्सी की पालकी पर बिठाकर पैदल ही 12 किलोमीटर का सफर तय कर मुख्य सड़क तक पहुंचाया।
सीएचसी जोशीमठ में प्राथमिक इलाज के बाद महिला को डॉक्टरों ने हायर सेंटर रेफर कर दिया। अस्पताल के डॉक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगा है। आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही की वजह से 11 साल की बच्ची की मौत हुई है। गांव वालों के मुताबिक, करीब 12 से ज्यादा लोगों ने उल्टी-दस्त की शिकायत की है।
चमोली के मुख्य चिकित्साधिकारी जीएस राणा ने बताया कि किमाणा गांव में ग्रामीणों को उल्टी-दस्त की शिकायत होने की खबर उन्हें मिली थी। सूचना मिलने के बाद किमाणा गांव में तत्काल डॉक्टरों की एक टीम दवा के साथ भेजी गई है। टीम ने गांव में पहुंचकर लोगों का इलाज शुरू कर दिया है। उन्होंने बताया कि देर रात एक बच्ची की मौत गांव में हुई है। मुख्य चिकित्साधिकारी के अनुसार, बासी खाना खाने और दूषित पानी पीने की वजह से लोग बीमार हुए हैं।
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