उत्तरकाशी के सेब का भारत समेत पूरी दुनिया में बजेगा डंका! इस खास कदम से अब बनेगी खास पहचान
उत्तरकाशी में सेब की खेती करने वाले किसानों के सपने पूरे होते दिखाई दे रहे हैं। यहां के सेब को धीरे-धीरे एक खास पहचान मिलनी शुरू हो गई है।
प्रदेश सरकार भी उत्तरकाशी के किसानों की मदद करने में जुटी हुई है, ताकि यहां के सेब को एक खास पहचान मिल सके। इस बात को ध्यान में रखते हुए जिले के किसानों को उद्यान विभाग की ओर ‘उत्तराखंड एप्पल’ नाम से दो लाख पेटियां सब्सिडी पर उपलब्ध करवाई गई हैं। इसके अलावा उद्यान विभाग की ओर से पहली बार सेब काश्तकारों की मांग पर 150 सेब बागवानों को हाई डेंसिटी की पौध भी दी जा रही है। सरकार की कोशिश है कि जिले में सेब उत्पादन में बढ़ावा मिल सके। साथ ही जिले के सेब भारत समेत पूरी दुनिया में अपनी खास पहचान बनाएं।
उत्तरकाशी के सेब एक खास किस्म की मिठास और साइज के लिए मंडियों में अलग पहचान है। इससे पहले किसान हिमाचल के कार्टन का इस्तेमाल करते थे। जिससे यहां के सेब हिमाचल प्रदेश के नाम से बिकती थी। सेब उत्तराखंड का होता था और ब्रांडिंग हिमाचल प्रदेश की होती थी। लेकिन अब सरकार के इस कदम से उत्तराखंड की ब्रांडिंग होगी। जाहिर है सीधे तौर पर यहां के किसानों को फायदा मिलेगा।
जिले में पहली बार 10 लाख वर्ग किलोमीटर पर सेब के फलों को ओलों से बचाने के लिए सब्सिडी पर वाइट शेड भी मुहैया करवाई गई है। इन सुविधाओं के मिलने से किसानों ने खुशी जाहिर की है। जिले में हर साल 20 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन किया जाता है। जिले में सेब का सबसे ज्यादा उत्पादन आराकोट बंगाण और मोरी इलाके में होता है। अकेले इन इलाकों में 10 हजार मीट्रिक टन सेब का उत्पादन किया जाता है। इसके अलावा हर्षिल घाटी समेत पुरोला और नौगांव में भी सेब का उत्पादन किया जाता है। उम्मीद है आने वाले दिनों में सिर्फ देश में ही नहीं पूरी दुनिया में उत्तराखंड के सेब की अलग पहचान बनेगी, इसमें उत्तराकाशी का सबसे बड़ा योगदान होगा।