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पाकिस्तान के प्लान खालिस्तान में फंस जाएगा भारत?

पाकिस्तान के लाहौर में करतारपुर साहिब सिखों के प्रमुख धर्म स्थानों में से एक है। भारत सरकार ने पिछले हफ्ते जब इस प्रमुख तीर्थस्थल तक कॉरिडोर बनाने का फैसला किया था तो साथ में पाकिस्तान से भी उसकी तरफ से कारिडोर के विकास की अपील की गई।

आश्चर्यजनक तरीके से पाकिस्तान के 48 घंटे के अंदर ही इसके लिए हामी भर दी। करतारपुर में शिलान्याय के लिए बकायदा 28 नवंबर का दिन तय कर दिया गया। जिसका उद्धाटन प्रधानमंत्री इमरान खान ने किया। पाकिस्तान ने इसके लिए भारतीय विदेश मंत्री, पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू को निमंत्रण भेजा था। सुषमा स्वराज ने स्वास्थ्य और चुनावी कारणों का हवाला देकर पाकिस्तान जाने से इनकार कर दिया लेकिन भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में दो केंद्रीय सिख मंत्रियों हरसिमरत कौर बादल और हरदीप पुरी को भेजा, लेकिन इस पवित्र मौके पर भी पाकिस्तान ने विश्वासघाती दुश्मन वाली चाल चली ।

खालिस्तानी आतंकी गोपाल चावला प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तानी सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा के साथ कई बार फोटो खींचवाते हुए देखा गया। चावला को पाकिस्तान ने पहले लाइन में बिठाया था। ये वहीं चावला है जिसने कुछ दिन पहले करतारपुर में भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों को गुरुद्वार में दाखिल नहीं होने दिया था। पाकिस्तान में गुरुद्वारा महाप्रबंधक कमेटी का महासचिव गोपाल चावला पंजाब में खालिस्तान मूवमेंट बढ़ाने के काम करता है। अमृतसर में निरंकारी भवन में कुछ दिन पहले जब आतंकी हमला हुआ था उस समय भी खुफिया एजेंसियों ने इस बात की ओर इशारा कि आईएसआई ने खालिस्तानी आतंकी गोपाल चावला के साथ मिलकर इस आतंकी वारदात को अंजाम दिया था जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी।

पाकिस्तान ने कभी सिख श्रद्धालुओं को वीजा देने में दिलचस्पी नहीं दिखाई । लेकिन इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान में सिख श्रद्धालुओं को वीजा देने में तेजी देखी गई है। पाकिस्तानी दूतावास ने पिछले हफ्ते गुरु नानक की 549वीं जयंती पर लाहौर के पास ननकाना साहिब और गुरुद्वारा सच्चा सौदा में गुरुद्वारा जन्म स्थान जाने के लिए 3,800 तीर्थयात्रियों को वीजा दिया। लेकिन जब भारतीय सिख तीर्थयात्री पाकिस्तान में गुरुद्वारे पहुंचे तो उनका खालिस्तान बनाने के नारों और बड़े-बड़े पोस्टरों के साथ स्वागत हुआ। ये पोस्टर खालिस्तान सिख फॉर जस्टिस की तरफ से गुरुद्वारे के आस-पास और रास्तों में लगाए गए थे। इतना ही नहीं भारतीय नागरिकों के सामने गुरुद्वारा जन्म स्थान के पास खालिस्तान समर्थक लोगों ने जुलूस भी निकाले।

भारतीय सिखों को पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर बुलाने की बात तब संदेह के दायरे में आ जाती है जब भारतीय दूतावास के अधिकारियों को सिख श्रद्धालुओं से मिलने नहीं दिया जाता था। पिछले हफ्ते जब इस्लामाबाद स्थित भारतीय दूतावास के अधिकारी लाहौर में सिखों से मिलने के पहुंचे तो उन्हे मिलने नहीं दिया गया। खालिस्तानी आतंकी गोपाल चावला और उसके समर्थकों ने भारतीय अधिकारियों का विरोध इसके पहले भी बार भारतीय अधिकारी सिख श्रद्धालुओं से मिलने की कोशिश कर चुके हैं। लेकिन हर बार पाकिस्तान सरकार की सरपरस्ती में खालिस्तानी आतंकी गुरुद्वारा में घुसने नहीं देते हैं।

इस साल अप्रैल और जून में 2 बार भारत के उच्चायुक्त अजय बिसारिया को हसन अब्दल में पंजा साहिब गुरुद्वारा में भारतीय तीर्थयात्रियों से मिलने की इजाजत नहीं दी गई थी। यहीं कारण है कि भारत सरकार 2019 में गुरु नानक की 550वीं जयंती के मौके पर पाकिस्तान में होने वाले सम्मेलन की योजना पर भी करीबी नजर बनाए हुए है। बताया जा रहा है कि सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान जिस उदारता के साथ वीजा दे रहा है, उससे सरकार को डर है कि भारत से जाने वाला सिख जत्था खालिस्तान सिख फॉर जस्टिस के चंगुल में फंस सकता है। सूत्रों के मुताबिक 2019 के सम्मेलन में SFJ अलग खालिस्तान बनाने की मांग करेगा।

खालिस्तान सिख फॉर जस्टिस दुनियाभर में रह रहे खालिस्तान समर्थक सिखों को गोलबंद करने में जुटा है। इसी साल अगस्त महीने में SFJ ने लंदन में रेफरेंडम 2020 नाम से आंदोलन किया था। जिसका भारत सरकार ने ब्रिटेन की सरकार से कड़ा विरोध जताया था।

क्या है रेफरेंडम 2020?
SFJ पंजाब प्रांत को आजाद देश बनाने के लिए मूवमेंट चला रहा है । इस संगठन ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह ‘रेफरेंडम 2020’ के तहत वोटरों के रजिस्ट्रेशन के लिए लाहौर में स्थायी कार्यालय खोल रहा है और यह पंजाब में सिखों के लिए सूचना केंद्र भी रहेगा। अगस्त में SFJ ने लंदन में कहा था कि वह भारत से अलग होने के मसले पर वैश्विक सिख समुदाय के बीच 2020 में ‘बाध्यकारी जनमत संग्रह’ कराएगा और पंजाब को एक आजाद मुल्क बनाएगा।

क्या है खालिस्तान आंदोलन?
देश के बंटवारे के वक्त पंजाबियों ने अलग देश खालिस्तान की मांग की
1950 में अकाली दल ने पंजाबी सूबा आंदोलन के नाम से आंदोलन चलाया
भाषा के आधार पर पंजाब को अलग दिखाने की कोशिश की गई
1966 में भारत सरकार ने पंजाब को अलग राज्य बनाने की मांग मान ली
भाषा के आधार पर हरियाणा, पंजाब, चंड़ीगढ़ की स्थापना हुई
अकाली पंजाब की नदियों का पानी दूसरे राज्य में जाने के खिलाफ थे
1971 में जगजीत सिंह चौहान ने अमेरिका में खालिस्तान राष्ट्र नाम से विज्ञापन छपवाया
अखबार में विज्ञापन छपवाकर आंदोलन के लिए चंदा मांगा गया
1980 जगजीत सिंह खालिस्तान राष्ट्रीय परिषद बनाया
जगजीत ने लंदन में खालिस्तान का देश का डाकटिकट भी जारी किया
1978 में जगजीत ने अकालियों के साथ मिलकर आनंदपुर साहिब के नाम संकल्प पत्र जारी किया, ये संकपल्प पर अलग खालिस्तान देश बनाने को लेकर था
80 के दशक में खालिस्तान आंदोलन पूरे उभार पर था
ताकतवर खालिस्तानी नेता जनरैल सिंह भिंडरावाले का उदय हुआ
भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर के हरमंदिर साहिब को अपना ठिकाना बनाया
स्वर्ण मंदिर में हिंसक आंदोलन के लिए हथियार-गोला बारूद जमा किए गए
1984 में भारत सरकार ने ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया और भिंडरवाला को मार गिराया
ऑपरेशन ब्लू स्टार से सिख समुदाय में नफरत फैल गया
प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी
खालिस्तानियों ने 1984 पूर्व आर्मी चीफ जनरल एएस वैद्य की हत्या कर दी गई

खालिस्तानियों ने 1995 में पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या कर दी गई

अब खालिस्तान आंदोलन का हाल
अब खालिस्तान आंदोलन को खत्म हुए दो दशक से ज्यादा हो चले हैं, लेकिन पाकिस्तान ना केवल सिखों को इसके लिए उकसाने की कोशिश करता रहता है बल्कि कनाडा और यूरोप में बसे सिखों के कई संगठन अब भी इसे गाहे बगाहे हवा देने की कोशिश करते रहते हैं. करतारपुर साहिब में भी जिस तरह से खालिस्तान के पक्ष में पोस्टर लगाए गए और पाकिस्तान ने अलगाववादी सिख नेताओं को इसमें बुलाया, उससे जाहिर है कि पाकिस्तान की मंशा अब भी अच्छी नहीं है। दरअसल पाकिस्तान कश्मीर में अपनी ढीली पड़ती पकड़ को खालिस्तान मूवमेंट के सहारे हवा देकर भारत के पंजाब में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रहा है।
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) लेखक रवि चंद्र इंडिया टीवी में पत्रकार हैं। इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति न्यूज़ नुक्कड़ उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं।
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