उत्तराखंड के वित्त मंत्री और बीजेपी के दिग्गज नेता प्रकाश पंत का निधन हो गया है। कैंसर से पीड़ित प्रकाश पंत ने 58 साल की उम्र में अमेरिका के एक अस्पताल में आखिरी सांस ली।
प्रकाशं पंत में जो खूबियां थीं शायद ही आज के दौर के किसी नेता में देखने को मिलती है। वो जन नेता थे, जनता के बीच उनकी धाक थी। छोटा हो या बड़ा हर वर्ग के लोग उनके मुरीद थे। उनसे जो भी एक बार मिलता था उन्हीं का होकर रह जाता था। उनके व्यक्तित्व की पहली खासियत उनकी सौम्यता थी।
प्रकाश पंत राजनीति के माहिर खिलाड़ी थे। जब भी वो बोलते तर्कसंगत बात करते। वो एक ऐसा वक्ता थे जब सभा में बोलते तो लोग उन्हें गौर से सुनते थे। पंत कंठस्थ आंकड़ों का इस्तेमाल करने वाले शानदार वक्ता थे। भावुकता और व्यवहारिकता उनके भाषण का अहम हिस्सा था। यही वजह कि जब भी वो भाषण देते थे लोग खुद को उससे जोड़कर उनके करीब पाते थे।
प्रकाश पंत को संसदीय मामलों में खासी रूची थी। यही वजह कि उनकी दिलचस्पी ने उन्हें इस मामले का मास्टर बना दिया था। पंत उत्तराखंड के पहले स्पीकर के साथ दो बार संसदीय कार्य मंत्री रहे। उनके संदीय ज्ञान से समसामयिक नेता कई बार चकित रह जाते थे। प्रकाश पंत हमेश सरकार के संकटमोचक की भूमिका में रहे। खंडूड़ी, निशंक या फिर त्रिवेंद्र सरकार की बात करें, प्रकाश पंत हर सरकार के लिए संकटमोचक साबित हुए। सबको साथ लेकर चलने की खासियत ने सदन के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर उन्होंने अलग पहचान बनाई।
प्रकाश पंत ने हमेशा सामाजिक सरोकार को सबसे ऊपर रखा। वो अपने छात्र जीवन से ही सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे। यही नहीं सामाजिक कार्य को प्राथमिकता देत हुए उन्होंने अपनी सरकारी नौकरी भी छोड़ दी थी।
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