उत्तराखंड के अल्मोड़ा के जीबी पंत पर्यावरण संस्थान ने सैनिटाइजर की बढ़ती मांग को देखते हुए अपनी लैब में किफायती सैनिटाइजर बनाने का काम शुरू कर दिया है।
संस्थान की लैब में डब्लूएचओ के मानकों के अनुरूप कैमिकल, डिस्टिल वाटर और ग्लिसरीन की मदद से सैनिटाइजर का निर्माण किया जा रहा है। फिलहाल संस्थान के परिसर और कार्यालयों के अलावा कार्यालय के मानव व्यस्त क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस कार्य को उस समय शुरू किया जब बाजार में सैनिटाइजर की मांग तो है, लेकिन उपलब्धता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी पर्याप्त मात्रा में सैनिटाइजर की व्यवस्था नहीं हो पा रही है। इसके बाद संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपने संस्थान की लैब में मौजूद रसायनों की मदद से सैनिटाइजर का निर्माण किया। खास बात ये है कि ये सैनिटाइजर डब्लूएचओ के मानकों के अनुरूप बनाया गया है। और संस्थान में मौजूद कैमिकल, डिस्टिल वाटर और ग्लिसरीन की मदद से इसे तैयार किया गया है।
संस्थान की वैज्ञानिक डॉ. वसुधा अग्निहोत्री ने बताया कि ये सैनिटाइजर पूरी तरह डब्लूएचओ के मानकों के आधार पर है और संस्थान में इसका इस्तेमाल हो रहा है। उन्होंने कहा कि अगर स्थानीय लोग या युवा आगे आते हैं और प्रशिक्षण की मांग करते हैं तो नियमों के अनुसार, इस संबंध में भी उनकी सहायता की जा सकती है। उन्होंने कहा कि सैनिटाइजर पूरी तरह सुरक्षित है और संस्थान में ही इसका इस्तेमाल हो रहा है।
(अल्मोड़ा से हरीश भंडारी की रिपोर्ट)
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