उत्तराखंड में धर्मांतरण विरोधी संशोधन विधेयक को राजभवन से मंजूरी मिल गई है।
इस मंजूरी के साथ ही प्रदेश में जबरन धर्मांतरण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का रास्ता साफ हो गया है। औपचारिक नोटिफेशन के बाद यह विधेयक कानून का रूप ले लेगा। इसके साथ ही प्रदेश में जबरन धर्मांतरण अपराध की श्रेणी में आ जाएगा। नए कानून के तहत, जबरन धर्मांतरण कराने वाले दोषी को 10 साल की जेल और 50 हजार रुपये के जुर्माने की सजा होगी
राजभवन की मंजूरी के साथ विधेयक विधि विभाग को मिल गया है। इसके बाद अब आगे की कार्यवाही शुरू की जा रही है। सरकारी प्रेस से इसकी प्रतियों का प्रकाशन कराया जाएगा और पुराने कानून में बदलाव हो जाएगा।
सरकार ने विधानसभा के शीतकालीन सत्र में यह बिल लाई थी। जबरन कराए जाने वाले धर्मांतरण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई को लेकर राज्य में लंबे समय से मांग उठ रही थी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी इस विधेयक पर शुरू से काफी गंभीर थे। विधानसभा में 29 नवंबर को सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता संशोधन विधेयक पेश किया। अगले दिन इसे पारित कर दिया गया।
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