उत्तराखंड: अल्मोड़ा का 60 साल पुराना ‘बोगनवेलिया’, इससे जुड़े हैं कई इतिहास, आप भी जानिए

अल्मोड़ा अपनी सांस्कृतिक विरासत और हस्तशिल्प के साथ परम्परागत भोजन के लिए मशहूर रहा है, जिसका अपना एक अलग इतिहास है।

यही वजह है कि अलमोड़ा को ऐतिहासिक सास्कृतिक और राजनैतिक नगरी के रूप मे भी जाना जाता है। यहां आज भी कई ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरें ऐसी हैं जो अपना इतिहास खुद ही बयां करती हैं। ऐसा ही एक  ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर है यहां की बोगनवेलिया के फूल की बेल जो मई और जून के महीने में अपने पूरे यौवन पर होता है, आइए आपको बताते हैं इसका राज। 1960 में माल रोड स्तिथ भारत रत्न गोविंद बल्लभ पंत जी के पार्क की स्थापना हुई जो अपने आप मे एक ऐतिहासिक पार्क है। कहा जाता है कि संसार का यह सबसे छोटा पार्क है। यही वजह है कि इसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में दर्ज किया गया है। जब इस पार्क की स्थापना हुई तभी पार्क की सुंदरता के लिए इस बेगुन वोलिया फूल के पेड़ को एक देवदार के पेड़ के साथ लगाया गया, जिसको 60 वर्ष हो चुके हैं।

बोगनवेलिया एक आम फूल है, जिसको हर कोई जानता है और लगभग हर जगह मिलता है, लेकिन अलमोड़ा का यह बेगुन वेलिया इस लिए खास है क्योंकि इसको 60 वर्ष हो चुके हैं। इसका आकार भी बड़ा है, क्योंकि यह एक बहुत बड़े लंबे चौड़े देवदार के पेड़ से लिपट है, जो अपनी विशाल सौंदर्य से पूरे नगर की शोभा बढ़ाए हुए है। नगर के माल रोड से सटे होने की वजह से यहां से गुजरने वाले लोगों को अपनी सुंदरता से अपनी ओर आकर्षित करता है। धीरे-धीरे लोगों के लिए यह एक सेल्फी पॉइंट भी बन रहा है।

अलमोड़ा के कई स्थानों पर इस फूल को उगाया किया जा रहा है। वर्तमान में रविन्द्र नाथ टैगोर हॉउस राज्य अतिथि गृह  सर्किट हाउस, चौघपाटा सतीश चंद्र जोशी पार्क आदि स्थलों में भी इसकी शोभा विराजमान है जो समय के साथ अलमोड़ा नगर की सुंदरता को और सुशोभित कर रहे हैं। वही, नगरपालिका अध्यक्ष प्रकाश जोशी ने बताया कि बोगनवेलिया की बेल का भी अपना एक इतिहास है। ये अलमोड़ा नगर की सुंदरता को वर्षों से बढ़ाता आया है।

साथ स्थानीय निवासियों ने बताया कि वो बहुत पुराने समय से इस फूल को देखते आए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अगर सरकार द्वारा ऐसे फूलों को उगाने के लिए बढ़ावा देना चाहिये, जिससे ये पर्यटकों के लिये एक आकर्षण का केंद्र बन सके। इसे पर्यटन के साथ भी जोड़ना चाहिए।

(अल्मोड़ा से हरीश भंडारी की रिपोर्ट)

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