उत्तराखंड में कोरोना लॉकडाउन से पर्यटन व्यवसाय पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ा है। लॉकडाउन में होटल करोबसरियों पर बड़ी मार पड़ी।
लॉकडाउन का सीधा असर सैकड़ों होटल कर्मचारियों पर भी पड़ा है। केंद्र सरकार ने अनलॉक-1 में होटल खोलने को लेकर गाइडलाइन तो जारी की है, लेकिन जो शर्तें सरकार ने रखी हैं उससे पर्यटन व्यवसाय की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है। नई गाइडलाइंस के मुताबिक, किसी भी पर्यटक को 7 दिन के निवास की बाध्यता दी गई है। मतलब ये कि अगर कोई सैलानी उत्तराखंड के किसी होटल में पहुंचा तो उसे होटल के अंदर ही 7 दिन बिताने होंगे। उन सात दिनों में वह किसी भी जगह नहीं जा सकता। उसके जाने पर प्रतिबंध है। सैलानी 7 दिन बाद ही होटल के कमरे से बाहर घूमने जा सकता है। यही वजह है कि बाहर के पर्यटक चाहकर भी उत्तराखंड का रुख नहीं कर रहे।
कुमाऊं का अधिकांश व्यवसाय पर्यटन पर निर्भर करता है। यहां पर हजारों होटल रिसॉर्ट और रेस्ट्रोरेंट हैं, जो भारत के साथ विदेशी पर्यटकों पर निर्भर हैं। ऐसे में अनलॉक- 1 में जो गाइडलाइन जारी की गई है वो यहां के होटलों के लिए व्यवाहरिक नहीं बैठ रही है।
नई गाइडलाइन को लेकर राजेश बिष्ट पूर्व अध्यक्ष होटल एसोसिएशन ने केंद्र सरकार को जिला अधिकारी के माध्यम से एक ज्ञापन भेजा, जिसमे उन्होंने कहा कि लॉकडाउन की वजह से होटल एवं पर्यटन व्यवसाय को बड़ा आघात पहुंचा है, जिसकी वजह से हजारों कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर भी बड़ा असर पड़ा है। उन्होंने केन्द्र और प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि उक्त नियमों को थोड़ा सरल बनाया जाए।
(अल्मोड़ा से हरीश भंडारी की रिपोर्ट)
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