कोरोना काल में जहां आम लोगों की आर्थिक स्थिति बिगड़ी है, वहीं कोरोना की वजह से विभिन्न गतिविधियां बंद होने से लोक कलाकारों के सामने भी आर्थिक संकट गहरा गया है।
सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा के लोक कलाकारों ने सरकार से मांग की है कि कलाकारों की स्थिति पर ध्यान देते हुए उन्हें मदद दी जाय वरना वो आंदोलन को मजबूर होंगे। अल्मोड़ा की पहचान देश दुनिया में कला संस्कृति के तौर पर होती है। यहां लोक कलाओं के विभिन्न विद्याओं से जुड़े हजारो लोक कलाकार रहते हैं। कोरोना काल मे विभिन्न प्रकार के मेले, सांस्कृतिक गतिविधियां बंद होने से लोक कलाकारों के सामने आर्थिक दिक्कतें बढ़ गई हैं।
अल्मोड़ा में दर्जनों की संख्या में लोक कलाकारों ने इकठ्ठा होकर हुड़के की थाप लोक गीत गाकर अपनी कला का प्रदर्शन कर सरकार का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने की कोशिश की। उनका कहना है कि उन्हें पिछले चार महीने से कोई काम नही मिला है। यही नहीं उत्तराखंड संस्कृति विभाग द्वारा उनके पूर्व के काम का एक साल के मानदेय का अभी तक भुगतान भी नहीं किया गया।
कलाकारों का कहना है कि इस बारे में कई बार संस्कृति मंत्री को भी अवगत कराया जा चुका है, लेकिन उनकी अभी तक कोई सुध नहीं ली गई। कुमाऊं लोक कलाकार संघ के महासचिव गोपाल चम्याल का कहना है कि आज कलाकारों के सामने भुखमरी की नौबत आ चुकी है। अगर सरकार उनकी मांग नहीं मानती है तो वो सांकेतिक धरने और फिर भूख हड़ताल करने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
(अल्मोड़ा से हरीश भंडारी की रिपोर्ट)
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