टिहरी गढ़वाल के डोबरा-चांठी पुल की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
एक लंबे इंतजार के बाद टिहरी गढ़वाल के लोगों को डोबरा-चांठी पुल की सौगात मिली थी। पुल बनने पर उम्मीद जताई गई कि लंबे वक्त से अलग-थलग पड़े प्रतापनगर के लोगों के लिए पुल जीवन रेखा का काम करेगा। प्रतापनगर के लोगों का सफर अब 50-60 किमी. तक कम हो जाएगा, लेकिन पुल बनने के कुछ दिनों के बाद उसकी सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। सामाजिक कार्यकर्ता राजेश्वर प्रसाद पैन्यूली ने 14 सालों तक 300 करोड़ की लागत से बने डोबरा-चांठी पुल की सुरक्षा को लेकर सवाल उठाये हैं। उन्होंने पुल पर पौने तीन करोड़ की लागत से लगाई गई चायनीज फसाड लाइट को फिजूलखर्ची बताया है। साथ ही उन्होंने मांग की कि लंबे समय तक संचालन और पुल के लिए नाबार्ड से लिये गये डेढ़ सौ करोड़ के लोन की अदायगी को लेकर सरकार अपना रुख साफ करे।
उन्होंने आरोप लगाया कि कि सरकार ने चतुराई से डोबरा-चांठी पुल का लोकार्पण किया, लेकिन, पुल के तकनीकी सवालों से जुड़ी कमिश्नर स्तर की जांच रिपोर्ट को दर किनार कर दिया गया। सरकार लंबे समय तक पुल के संचालन के व्यवहारिक पक्ष से जुड़े सवालों को लेकर भी मौन बनी हुई है। उन्होंने पुल की सुरक्षा जांच तीसरे पक्ष से न करवाने पर सवाल उठाए। उन्होंने दोषी इंजीनियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
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