जिस सैन्य हेलिकॉप्टर की मदद से अमेरिका ने पाकिस्तान में घुसकर आतंकी सरगना ओसामा बिन लादेन को मारा था वो हेलीकॉप्टर अब इंडियन एयरफोर्स के बेड़े में शामिल हो गया है।
अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी बोईंग ने भारतीय वायुसेना को 4 चिनूक सैन्य हेलिकॉप्टर भारत को सौंप दिए। इसके बाद इसे गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह पर उतारा गया। इन हेलिकॉप्टर के आने के बाद भारतीय वायुसेना की ताकत और बढ़ गई है। भारत ने 2015 में अमेरिकी कंपनी से 15 चिनूक हेलिकॉप्टर खरीदने का सौदा किया था। इसमें 22 अपाचे हेलिकॉप्टर भी शामिल है। ये सौदा 2.5 अरब डॉलर में हुआ था। डील के मुताबिक इस सार की आखिर तक भारत को सभी चिनूक हेलिकॉप्टर डिलिवर हो जाएंगे।
चिनूक हेलिकॉप्टर पुराने पड़ चुके MI 26 की जगह लेंगे। मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक इस सैन्य हेलिकॉप्टर को चंडीगढ़ लाया जाएगा। जहां इसे औपचारिक तौर पर भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा। चिनूक का इस्तेमाल युद्ध के दौरान या सामान्य स्थिति में सैनिकों, हथियारों, उपकरण और ईंधन को ढोने में किया जाता है। इस हेलिकॉप्टर का इस्तेमाल वियतनाम, अफगानिस्तान से लेकर इराक तक के युद्ध में किया जा चुका है। सबसे पहली बार चिनूक हेलिकॉप्टर को 1962 में उड़ाया गया था। तब से अब तक इसकी मशीन में बड़े अपग्रेड हो चुके हैं। यह दुनिया के सबसे भारी लिफ्ट चौपर में से एक है।
क्या है खासियत?
चिनूक हेलिकॉप्टर बहुत ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। यह हेलिकॉप्टर भारी-भरकम सामान को भी काफी ऊंचाई पर आसानी से पहुंचा सकता है। यह विशाल हेलिकॉप्टर 9.6 टन तक कार्गो ले जा सकता है। अमेरिकी सेना लंबे वक्त से चिनूक का इस्तेमाल कर रही है। भारत अपाचे का इस्तेमाल करने वाला 14वां और चिनूक को इस्तेमाल करने वाला 19वां देश होगा।
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