फोटो: सोशल मीडिया
बीजेपी को दशकों से जिन दिग्गज नेताओं ने सींचा और इस काबिल बनाया कि आज वो पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में है। 23 मई को लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद गठित होने वाली 17वीं लोकसभा में न तो इन दिग्गज नेताओं के अब चेहरे दिखाई देंगे और न ही उनकी आवाज सदन में सुनाई देगी।
लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र, रमेश बैस, बीसी खंडूरी, राजेन गोहेन और बिजॉय चक्रवर्ती बीजेपी के उन दिग्गजों में शुमार हैं, जिन्हें पार्टी ने लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया है। वहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उमा भारती ने इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है।
बीजेपी उन पार्टियों में से है जो ज्यादातर विपक्ष में रही। बीजेपी ने लोकसभा में 2 से 282 सीटों का सफर तय किया। इसमें बीजेपी के संस्थापक सदस्यों में से एक और 11 बार सांसद रहे आडवाणी ने अहम भूमिका निभाई। इस बार आडवाणी का टिकट काटकर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को गांधीनगर से चुनाव मैदान में उतारा गया है।
2014 में कानपुर से जीत दर्ज कर चुके मुरली मनोहर जोशी 1991 से 1993 के बीच बीजेपी अध्यक्ष रहे। उन्होंने संसद में इलाहाबाद और वाराणसी का भी प्रतिनिधित्व किया है। नरेंद्र मोदी को वाराणसी से चुनाव मैदान में उतारने के पार्टी के फैसले के बाद उन्हें 2014 में कानपुर भेजा गया था। अब उन्हें भी टिकट देने से पार्टी ने मना कर दिया है।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद आडवाणी और जोशी को बीजेपी के शीर्ष नेताओं में शुमार किया जाता है। लेकिन अमित शाह के अध्यक्ष पद संभालने के बाद उन्हें बीजेपी की शीर्ष फैसला लेने वाले निकाय संसदीय बोर्ड में जगह नहीं दी गई। इसके बजाए शाह ने मार्गदर्शक मंडल बनाया, जिसमें जोशी और आडवाणी के साथ प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री राजनाथ सिंह और शाह खुद इसके सदस्य बने। इस तरह से बीजेपी ने अपने दिग्गज नेताओं को बारी-बीरी खामोश कर दिया। अब वे शांत बैठे हैं।
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