महाराष्ट्र में सियासी हलचल और तेज हो गई है। शनिवार को विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। इस बीच सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
शिवसेना और बीजेपी के बीच सीएम पद को लेकर विवाद इतना गहराया कि सरकार गठन के ऐलान से पहले ही फडणवीस को इस्तीफा देना पड़ा। सरकार गठन का पेंच फंस गया है। राज्य पर राष्ट्रपति शासन लागू होने की संभावनाएं मंडराने लगी हैं। मुंबई में राजभवन पहुंचकर देवेंद्र फडणवीस ने अपना इस्तीफा सौंपने के बाद बीजेपी पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि चुनाव में बीजेपी और शिवसेना गठबंधन को जनादेश मिला और बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बड़ी पार्टी बनी। उन्होंने कहा सरकार गठन नहीं होने के लिए शिवसेना जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि कई बार मैंने उद्धव ठाकरे से संपर्क साधने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने बात नहीं की।
देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना पर कई गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में खासकर पिछले 10 दिनों के भीतर शिवसेना की ओर से बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व पर खास तौर पर पीएम मोदी और अमित शाह को लेकर टिप्पणियां की गईं। फडणवीस ने कहा कि जिस तरह की शिवसेना की ओर से बयानबाजी की गई वह बर्दाश्त के लायक नहीं थी।
फडणवीस के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने प्रेस से बात की। इस दौरान उन्होंने सरकार गठन न होने के पीछे बीजेपी को दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान अमित शाह की मौजूदगी में 50-50 फॉर्मूले पर बात हुई थी और बीजेपी ने इस पर हसमति जताई थी।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमने चर्चा के लिए दरवाजे कभी बंद नहीं किए थे, उन्होंने (बीजेपी) हमसे झूठ बोला इसलिए हमने उनसे बात नहीं की। हमने अभी तक एनसीपी के साथ बातचीत नहीं की है। बीजेपी पर हमला बोलते हुए उद्धव ने कहा कि यह बहुत दुखद है कि गंगा की सफाई करते समय उनके दिमाग प्रदूषित हो गए। मुझे बुरा लगा कि हमने गलत लोगों के साथ गठबंधन किया। उन्होंने कहा कि मैंने बालासाहेब से वादा किया था कि एक दिन शिवसेना का मुख्यमंत्री होगा और मैं उस वादे को पूरा करूंगा, इसके लिए मुझे अमित शाह और देवेंद्र फडणवीस की जरूरत नहीं है।
एक तरफ जहां राज्यपाल कोश्यारी भगत से मिलकर देवेंद्र फडणीस ने अपना इस्तीफा सौंपा। वहीं शिवसेना नेता संजय राउत ने एक बार फिर एनसीपी प्रमुख शरद पवार से उनके आवास पर मुलाकात की। शिवसेना और बीजेपी के बीच जिस तरह की दूरियां आ गई हैं। फिलहाल दोनों पार्टियों के बीच पैचअप होना मुश्किल दिख रहा है, क्योंकि बीजेपी ने साफ कर दिया है कि शिवसेना से उसकी कोई 50-50 फॉर्मूले पर बात नहीं हुई थी। वहीं शिवसेना का कहना है कि 50-50 फॉर्मूले पर बात हुई थी, और बीजेपी झूठ बोल रही है।
ऐसे में सवाल ये है कि आगे क्या होगा? शनिवार को महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। ऐसे में सिर्फ दो रास्ते बचते हैं। पहला ये कि शिवसेना राज्य में एनसीपी और कांग्रेस से गठबंध कर सरकार बनाए या फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया जाए। जिस तरह से शिवसेना लगातार एनसीपी के संपर्क में है, उससे सरकार गठन की संभावनाएं अभी भी जिंदा हैं। लेकिन सरकार गठन के लिए कुछ ही घंटों का वक्त बचा है, यानी शनिवार तक इस पर फैसला लेना ही होगा वरना राज्य में राष्ट्रपति शासन लग जाएगा।
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