राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 70वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर देश को संबोधित किया। देश के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि भारत की बहुलता, हमारी सबसे बड़ी ताकत है।
उन्होंने कहा कि हमारी विविधता, लोकतंत्र और विकास पूरी दुनिया के सामने एक मिसाल है। राष्ट्रपति ने कहा, “समावेशी भावना, भारत के विकास का मूल-मंत्र है। देश के संसाधनों पर सभी का बराबर का हक है, चाहे कोई किसी भी समूह, समुदाय या किसी भी क्षेत्र का हो।”
राष्ट्रपति ने कहा, “इसी महीने संविधान-संशोधन के जरिए गरीब परिवारों के प्रतिभाशाली बच्चों को शिक्षा और रोजगार के विशेष अवसर उपलब्ध कराए गए हैं। सामाजिक न्याय और आर्थिक नैतिकता के मानदंडों पर जोर देकर, समावेशी विकास के काम को और भी व्यापक आधार दिया गया है। टेक्नॉलॉजी और नई सोच के बल पर समाज के हर वर्ग के लोग विकास की यात्रा में शामिल हो रहे हैं।”
राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, “21वीं सदी के लिए हमें अपने लक्ष्यों और उपलब्धियों के नए मानदंड निर्धारित करने हैं। अब हमें गुणवत्ता पर और अधिक ध्यान देना होगा। हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना है, जिसमें हर बेटी-बेटे की विशेषता, क्षमता और प्रतिभा की पहचान हो।”
उन्होंने कहा, “पारस्परिक सहयोग और साझेदारी के आधार पर ही समाज का निर्माण होता है। सहयोग और साझेदारी की यह भावना पूरे विश्व को एक ही परिवार मानने वाले, ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ के आदर्श का भी आधार है।”
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