फोटो: न्यूज़ नुक्कड़
कहते हैं कि पुस्तकालय सुनहरे भविष्य का प्रतीक होता है। यानी अगर आप बेहतर भविष्य बनाना चाहते हैं तो आपको पुस्तकालय से प्रेम करना चाहिए।
सरकारें पुस्तकालय तो बनवाती हैं, लेकिन अक्सर इनका रख-रखाव ठीक से नहीं हो पाता। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिला मुख्यालय में 150 साल पुराना पुस्तकालय प्रशासन की अनदेखी के चलते बदहाली के आंसू रोने को मजबूर है। पुस्तकालय भवन जर्जर हालत में है। पुस्तकालय में रखीं गईं पुरानी किताबें को दीमकों ने खोखला कर दिया है। जर्जर भवन में बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं होने से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने आने वाले युवाओं को परेशानी उठानी पड़ती है।
पुस्तकालय की छत जीर्ण-शीर्ण हो गई है। ऐसे में बरसात के मौसम में छत से पानी टपकता है। पानी टपकने से पाठकों को बैठने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। यही नहीं लाइब्रेरी रखी कई पुस्तकें पानी से बर्बाद हो जाती हैं।
इस पुस्तकालय में हर दिन सैकड़ों की संख्या में युवा पढ़ाई करने के लिए आते हैं। इनमें कई गरीब और सामान्य तबके के युवक-युवतियां शामिल हैं, जो महंगी पुस्तकें नहीं खरीद पाते और पढ़ाई करने के लिए जिला पुस्तकालय आते हैं। इनकी शिकायत है कि पुस्तकालय की पुस्तकें व्यवस्थित ढंग से नहीं लगाई गई हैं। ऐसे में पुस्तकों को ढूंढने में उनका काफी समय बर्बाद हो जाता है। कुछ किताबें काफी पुरानी होने की वजह से कटी-फटी मिलती हैं। लॉ की पढ़ाई करने वालों को किताबें नहीं मिल पाने की वजह से मायूस होना पड़ रहा है।
पुस्तकालय के प्रभारी का कहना है कि 150 साल पुराने पुस्तकालय भवन को हरिटेज बनाने को लेकर मुख्यमंत्री ने घोषणा की है। निर्माणकर्ता आरईएस को प्रस्ताव बनाकर आगणन भेजने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि पुस्तकालय में बैठने की समुचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से दिक्कतें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि हरिटेज भवन के पुनरुद्धार हो जाने से समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है।
(अल्मोड़ा से हरीश भंडारी की रिपोर्ट)
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