देश समेत पूरे उत्तराखंड में लॉकडाउन के बीच उन मजदूरों की मुश्किलें बढ़ गई हैं, जो रोजगार छिनने के बाद पैदल ही सैकड़ों किलोमीटर के सफर पर अपने गांव निकल पड़े हैं।
उत्तराखंड सरकार ने हालांकि ऐसे लोगों का ख्याल रखा है। सरकार ने लॉकडाउन के शुरूआत के दिनों में उत्तराखंड के अंदर उन लोगों को जाने दिया, जो शहरों से गांव की ओर रुख कर रहे थे। इसके साथ ही दिल्ली सरकार को 50 लाख रुपये दिए ताकि वह उत्तराखंड के नागिरकों को जरुरी सुविधाएं मुहैया कराए, लेकिन अभी कई ऐसे लोग हैं जो अलग-अलग जगहों पर फंसे हुए हैं और अपने घर जाना चाहते हैं।
त्रिवेंद्र सरकार ने ऐसे लोगों को लेकर बड़ा फैसला लिया है। इस संबंध में खुद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मीडिया से बात करते हुए अहम जानकारी दी। उन्होंने कहा, “प्रदेश में लॉकडाउन के कारण फंसे लोगों को अपने जिलों में जाने के लिए 31 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 8 बजे तक सार्वजनिक और निजी परिवहन सेवाओं का इस्तेमाल किया जा सकता है। बसों और टैक्सियों को सेनेटाइज किया जाएगा। सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा जाएगा।”
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के मुताबिक, 31 मार्च को सुबह 7 बजे से रात 8 बजे के बीच राज्य में सरकारी-प्रइवेट बसें और टैक्सियों को चलने की इजाजत दी जाएगी, ताकि प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे लोग अपने घर तक पहुंच सकें। राज्य के अलग-अलग हिस्सों में फंसे लोग लगातार हेल्पलाइन पर इस तरह की शिकायतें कर रहे थे, जिसे देखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है। दिल्ली में इस तरह की स्थिति देखी जा चुकी है कि कैसे हजारों की तादात में मजूदर पैदल अपने घरों के लिए निकल पड़े हैं।
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