न्यूज़ डेस्क/ हरिद्वार/ सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर के हक में फैसला आने के बाद अब राम मंदिर को बनाने की तैयारी की जा रही है। कोर्ट के फैसले के मुताबिक, मंदिर निर्माण के लिए केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बनाना है।
मंदिर निर्माण के लिए बनाए जाने वाले ट्रस्ट में शामिल होने के लिए संतों में संग्राम छिड़ गया है। संतों ने ट्रस्ट में शामिल होने के लिए अपनी-अनपी दावेदारी ठोकी है। स्वरूपानंद सरस्वती के रामालय न्यास ने ट्रस्ट में खुद को शामिल किए जाने की मांग की है। रामालय न्यास ने दिल्ली में शुक्रवार को केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंप कर मंदिर निर्माण का अधिकार खुद को दिए जाने की मांग की।
वहीं, रामानंद संप्रदाय के बैरागी संत भी राम मंदिर का निर्माण करना चाह रहे हैं। बैरागी संतों ने मंदिर निर्माण के लिए अनुमति मांगी। साल 1991 से विश्व हिंदू परिषद के संत मार्ग दर्शक मंडल में राम जन्मभूमि न्यास बनाकर मंदिर का कार्य शुरू कर दिया था।
रामानंद संप्रदाय के सदस्य अयोध्या हनुमान गढ़ी के महंत बाबा राजू दास और दिगंबर अणि के स्वामी हठयोगी दिगंबर ने भी अपना दावा ठोका है। उनका कहना है कि राम मंदिर बनाने के लिए रामानंद संप्रदाय सबसे बड़ा अधिकारी है। अयोध्या का संबंध वैष्णव संतों से ही है। इनकी मांग है कि मंदिर के लिए बनाए जाने वाले ट्रस्ट में केंद्र सरकार रामानंद संप्रदाय के संतों को शामिल करे।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने भी केंद्र सरकार से ये मांग की है कि मंदिर निर्माण के लिए बनाए जाने वाले ट्रस्ट में अखाड़ा परिषद के दो प्रतिनिधियों को शामिल करे। उन्होंने कहा कि शुरू से ही अखाड़ा परिषद राम जन्मभूमि आंदोलन को समर्थन देती आई है। उन्होंने ये भी कहा कि राम जन्मभूमि न्यास की सभी बठकों में अखाड़ा परिषद ने हिस्सा लिया है।
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