शूटिंग की दुनिया में भारत का नाम रोशन करने वाले उत्तराखंड के निशानेबाज जसपाल राणा को आज भी राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड नहीं मिलने का अफसोस है।
जसपाल राणा ने देश के लिए 20 से ज्यादा इंटरनेशनल मेडल जीते हैं, बावजूद इसके पुरस्कारों की सलेक्शन कमेटी ने नजरअंदाज किया जिसका उन्हें मलाल है। हालांकि उन्हें द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए चुने जाने की खुशी है। आपको बता दें कि जूनियर भारतीय पिस्टल टीम के मुख्य कोच जसपाल राणा को इस साल का द्रोणाचार्य अवॉर्ड दिया जाएगा। हालांकि ये अवॉर्ड उन्हें पहले ही मिलना चाहिये था, जो नहीं मिला, इसे लेकर पिछले साल काफी विवाद भी हुआ था। जिसके बाद मामला अदालत तक पहुंच गया था। अब इस साल खेल मंत्रालय ने द्वार गठित समिति ने द्रोणाचार्य अवॉर्ड के लिए जसपाल राणा के नाम की अनुशंसा की।
जसपाल राणा का सफरनामा
जसपाल राणा मूलरूप से टिहरी गढ़वाल के रहने वाले हैं। उनका जन्म 28 जून 1976 को उनके मूल गांव चिलामू, टिहरी गढ़वाल में हुआ। हालांकि फिलहाल वो देहरादून में रहते हैं। शूटिंग उन्हें विरासत में मिली है। उनके पिता नारायण सिंह राणा भी अपने वक्त के जाने-माने निशानेबाज थे। यही नहीं बिटिया देवांशी राणा भी नेशनल लेवल पर शूटिंग में कई मेडल जीत चुकी हैं। एशियाई खेलों के स्वर्ण पदक विजेता जसपाल राणा ने मनु भाकर, सौरभ चौधरी और अनीश भानवाला जैसे विश्वस्तरीय निशानेबाज तैयार किए हैं। जसपाल राणा ने साल 1995 के कॉमनवेल्थ गेम्स की शूटिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया था। उस वक्त देश को गोल्ड मेडल दिलाने वाले जसपाल राणा गोल्डन ब्वॉय के रूप में घर-घर में पहचाने जाने लगे थे।
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