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उत्तराखंड: कोरोना के कहर के बीच पर्यटन व्यवसाय को लेकर सरकार का बड़ा फैसला, बदल गए ये नियम

उत्तराखंड सरकार ने कोरोना के खिलाफ जंग के साथ राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक बड़ा फैसला लिया है।

राज्य के पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने इस संबंध में जानकारी दी। उन्होंने पर्यटन और संस्कृति विभाग के अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक की। बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि राज्य के सभी यात्रा मार्गों पर यात्रियों के लिए शौचालयों के साथ-साथ रूट सुनिश्चित किया जाए। महाराज ने बताया कि कोरोना महामारी को देखते हुए तय किया गया है कि 72 घंटे पहले कोरोना टेस्ट करवाने वाले यात्री की रिपोर्ट अगर नेगेटिव पाई जाती है तो वो कहीं भी राज्य में घूम सकता है। उन्होंने कहा कि सुरकंडा रोपवे निर्माण कंपनी को निर्देश दिए गए हैं कि रोपवे में चाइनीज सामानों का इस्तेमाल न करें।

पर्यटन मंत्री ने बताया कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ग्रह आवास (होम स्टे) योजना जो कि कोरोना के चलते लागू लॉकडाउन से काफी प्रभावित हुई है उससे जुड़े लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सीएम राहत कोष से मंजूर 24.30 करोड़ रुपये की धनराशि के सापेक्ष 11.85 करोड़ की धनराशि उपलब्ध करवाई गई है। उन्होंने बताया कि वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना को और ज्यादा आकर्षक बनाने के मकसद से राज्य के मार्गों पर संचालन के लिए फाइनेंशियल ईयर में अधिकतम 50 बसों, इलेक्ट्रॉनिक बसों के क्रय के लिए ऊंची संक्रम की लागत के 50 फीसदी, लेकिन अधिकतम 15 लाख रुपये की राजकीय सहायता देने का निर्णय लिया गया है।

मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि टिहरी झील से जुड़े विकास कार्य 98 प्रतिशत पूरा हो चुका है। उन्होंने बताया कि कटारमल जागेश्वर हेरिटेज सर्किट के काम भी पूरा कर लिया गया है। महाराज ने बताया कि स्वदेश दर्शन योजना के तहत महाभारत सर्किट का 9770.25 लाख रुपये का कन्सेप्ट नोट तैयार कर केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। उन्होंने बताया कि प्रसाद योजना के तहत केदारनाथ विकास कार्यों का लगभग 90 फीसदी काम पूरा हो चुका है। महाराज ने बताया कि बद्रीनाथ में भी विकास कार्य किए जा रहे हैं। गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए डीपीआर तैयार की जा रही है।

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