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उत्तराखंड में भ्रूण की लिंग जांच कराने वालों की अब खैर नहीं! सरकार ने शुरू की ये नई योजना

भ्रूण लिंग जांच रोकने को लेकर हरिद्वार जिला प्रशासन ने मुखबिर योजना को मंजूरी दे दी है। जिलाधिकारी सी रविशंकर ने बताया कि चिकित्सा केंद्रों पर अवैधानिक ढंग से होने वाले भ्रूण लिंग परीक्षण तथा गर्भपात की घटनाओं को रोकने के लिए इच्छुक और योग्य आवेदकों को इस योजना के अन्तर्गत आवेदन करना होगा। जिसमें मुखबीर, डिकॉय महिला एवं सहायक के तौर पर चुना जायेगा।

यानी गर्भ में पल रहे बच्चे की लिंग जांच कराने को प्रशासन अब मुखबिरों के सहारे स्टिंग ऑपरेशन करेगा। जिसके जरिए पूरे साक्ष्यों के साथ अल्ट्रासाउंड सेंटर संचालकों पर कानूनी फंदा कसा जाएगा। यही नहीं सही जानकारी देने वाले को प्रशासन की ओर से तीन किश्तों में एक लाख रुपये का इनाम भी दिया जाएगा।  जिलाधिकारी सी रविशंकर ने अधिकारियों के साथ बैठक कर लिंग जांच रोकने को सख्ती से कार्रवाई के निर्देश दिए है।

डीएम ने बताया कि इच्छुक और योग्य उम्मीदवारों को इस योजना के अंतर्गत मुखबिर बनने को लिखित में स्वास्थ्य विभाग में आवेदन करना होगा। इसके बाद मुखबिर, गर्भवती महिला और सहायक का चुनाव किया जाएगा। गर्भवती महिला को अनापत्ति का शपथ पत्र भी देना होगा। इनाम की एक लाख की राशि तीन किश्तों में मिलेगी। पहली किश्त सूचना सही पाने पर, दूसरी न्यायालय में हाजरी और तीसरी किश्त आरोपी को सजा मिलने के उपरांत दी जाएगी।

आपको बता दें, मुखबिर टीम में सूचना देने वाले के साथ गर्भवती महिला और एक अन्य सहायक (महिला या पुरुष) होगा। यह टीम संबंधित अल्ट्रासाउंड सेंटर पर जाकर अपना जाल बिछाएगी। बाकायदा पंजीकरण कराने के साथ संबंधित महिला अपना लिंग जांच कराएगी। यदि जांच में गर्भ में लड़की मिलती तो ऑपरेशन की बात कही जाएगी। यदि संबंधित ऑपरेशन करने को तैयार हो जाता है तो स्वास्थ्य विभाग की टीम छापा मारकर कानूनी कार्रवाई करेगी। 

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