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उत्तराखंड स्पेशल: काशीपुर के मोहित का कमाल, गोबर से बनाई लकड़ी, कमाई के साथ पर्यावरण भी बचेगा!

गोबर से खाद बनती है ये तो हम सभी जानते हैं। ये भी जानते हैं कि गोबर के उपलों से कई घरों में चूल्हा जलता है, लेकिन क्या आपने कभी गोबर की लकड़ी के बारे में सुना है।

काशीपुर की एक डेयरी में गोबर की लकड़ी तैयार की जा रही है। इससे ना केवल लकड़ी के लिए पेड़ों की कटान कम होगी, बल्कि धुआं कम होने से पर्यावरण के लिए भी यह कम नुकसानदेह है। चौखुटिया, मांसी के रहने वाले मोहित काशीपुर में अपने परिवार के साथ रहते हैं। करीब 11 सालों तक सऊदी अरब में बतौर प्रोडक्शन मैनेजर नौकरी करने के बाद 2017 में मोहित भारत लौटे और एक साल बाद गढ़ी इंद्रजीत में एक दूध डेयरी खोली। डेयरी का काम सही चलने पर मोहित ने गाय के गोबर का भी प्रयोग करने के लिए इंटरनेट पर खोजबीन शुरू की।

इसी बीच मोहित को जानकारी मिली कि पंजाब में बायो फ्यूल प्लांट नाम की एक मशीन का आविष्कार किया गया है, जिससे गोबर से लकड़ी तैयार की जाती है। इसके बाद मोहित ने मशीन खरीदी और गोबर की खाद से लकड़ी बनाने का काम शुरू कर दिया। मोहित के मुताबिक करीब तीन क्विंटल गोबर से एक क्विंटल लकड़ी तैयार की जा सकती है। जिसे 600-700 रुपये क्विंटल बेचा जा सकता है। एक घंटे में चार फीट की 200 लकड़ियां तैयार होती हैं, जिन्हें जलौनी लकड़ी के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। 

कैसे तैयार होती है गोबर की लकड़ी?
गोबर खाद से लकड़ी तैयार करने के लिए पहले दो दिन तक गोबर को सुखाया जाता है। अगर नमी कम है तो इसे बायो फ्यूल मशीन में डालकर रोटेड किया जाता है। इसके बाद हॉपर से लकड़ी तैयार होती है, इसके बाद फिर एक दिन सुखाया जाता है। इसके बाद यह जलाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो जाता है। 

गोबर की लकड़ी की का क्या है फायदा?
गोबर में मिथेन गैस ज्यादा होने की वजह से जलाने पर धुआं भी ज्यादा निकलता है। जबकि गोबर प्रकाष्ठ को होलो सिलिंडर की तरह तैयार किया जाता है। लकड़ी बीच में खोखली होने पर इसे जलाने पर हवा पास होती है और आसानी से जलने के साथ धुआं भी कम होता है।

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