उत्तराखंड के दिग्गज नेता और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के नेतृत्व में लगातार शिक्षा से जुड़े कई अहम कदम उठाए जा रहे हैं।
शिक्षा मंत्रालय, स्टडी इन इंडिया, स्टे इन इंडिया अभियान और भारत को शिक्षा के वैश्विक हब के रूप में स्थापित करने के लिए कोशिश में जुटा हुआ है। इस अभियान को पूरा करने में उच्च शिक्षा संस्थानों की भूमिका अहम है। एनआईटी तिरुचिरापल्ली के कुछ जाने माने पूर्व छात्र हैं, टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रसेकरन, टीसीएस के सीईओ राजेश गोपीनाथ, अमेरिका की ब्लूम एनर्जी में कार्यरत के आर श्रीधर, सोनाटा सॉफ्टवेयर में कार्यरत श्रीकर रेड्डी, टाटा स्टील के ग्लोबल सीईओ एवं एमडी टी वी नरेंद्रन, एचसीएल के उपाध्यक्ष, स्टैनफोर्ड के एआई लैब्स में कार्यरत श्रीधर महादेवन, एयर मार्शल कनकराज, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के सीईओ अनुराग बेहर।
वर्तमान में इस संस्थान में 10 स्नातक, 31 परास्नातक और 17 विभागों में पीएचडी कार्यक्रम चलते हैं और यहां 6880 छात्र पढ़ते हैं। इस संस्थान की सबसे बड़ी खासियत छात्रों को सक्षम वातावरण में शिक्षा प्रदान करना और छात्रों के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को सशक्त बनाना रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यहां के पूर्व छात्रों का देश के शीर्ष पदों पर होना है।
डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया, “एनआईटी तिरुचिरापल्ली ने अपने शिक्षण के दम पर और 2018 के 15 वर्षीय स्ट्रेटेजिक प्लान के दम पर ही एनआईआरएफ रैंकिंग में सुधार दर्ज किया है।” निशंक ने नई शिक्षा नीति के विषय पर कहा, “नई शिक्षा नीति ग्लोबल माइंड सेट के साथ इंडियन, इंटरनेशनल, इंपैक्टफुल, इंटरएक्टिव और इंक्लूसिविटी के तत्वों को एक साथ समाहित करती है। नीति के सफल कार्यान्वयन हेतु अपने नेशनल तथा इंटरनेशनल ब्रांड एलुमनाई का एक नेटवर्क तथा टास्क फोर्स बनाइए ताकि आपके अनुभव, एक्सपर्टीज, ज्ञान, विद्या दान के माध्यम से हम इस नीति का सफल कार्यान्वयन कर सकें।”
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा, “मुझे पूर्ण विश्वास है कि नई शिक्षा नीति तथा एनआईटी तिरुचिरापल्ली जैसे संस्थान मिलकर राष्ट्र निर्माण तथा भारत को ज्ञान की महाशक्ति बनाने की दिशा में अपना शत-प्रतिशत योगदान देंगे। नए, शिक्षित, सशक्त, समृद्ध एवं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में सहायक सिद्ध होंगे।”
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