एक तरफ जहां अपने देश में महिलाओें को सबसे आला मुकाम पर रखा जाता है।
महिलाओं को पूजा जाता है। वहीं दूसरी तरफ महिलाओं के खिलाफ अपराध में कोई कमी नहीं है। साल दर साल महिला उत्पीड़न के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। NCRB के आंकड़ों के मुताबिक भारत में हर दिन लगभग 95 महिलाओं से बलात्कार होता है। जबकि हर घंटे चार महिलाएं हवस का शिकार बनती हैं। जबकि दलितों के मामले ये और भी खराब है। इस साल कुल 32,033 बलात्कार के मामलों में से 11 फीसदी दलित समुदाय से थे. वहीं बच्चियों के खिलाफ अपराध 4.5% की बढ़त्तरी हुई है।
राहत की बात ये है कि दूसरे प्रदेशों के मुकाबले उत्तराखंड में क्राइम रेट काफी कम है। एनसीआरबी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड में पिछले एक साल में कुल अपराध के मामलों में 18 फीसदी से ज्यादा गिरावट आई है। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में उत्तराखंड में अपराध के कुल 28,268 केस दर्ज किए गए। जिसमें से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत दर्ज 12,081 मामले शामिल हैं। इसके अलावा विशेष और स्थानीय कानून (एसएलएल) के तहत 16,187 मामले दर्ज किए गए। जबकि 2018 में अपराध के कुल 34,715 मामले रिपोर्ट हुए थे।
क्राइम के ग्राफ की बात करें तो उत्तराखंड का रिकॉर्ड अपने पड़ोसी प्रदेश यूपी, हरियाणा, राजस्थान और जम्मू-कश्मीर से काफी कम है। साल 2018 में उत्तराखंड में हिंसक अपराधों से जुड़े 3,137 केस दर्ज किए गए थे। जबकि साल 2019 में 2,845 मामले सामने आए। इस तरह से देखें तो हिंसक अपराध के मामलों में 9 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। हत्या के मामलों में भी उत्तराखंड में कमी आई है।
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