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पहलू खान केस: पुलिस की 29 गलतियों की वजह से बरी हो गए सभी आरोपी?

राजस्थन के अलवर में मॉब लिचिंग का शिकार हुए पहलू खान मामले में SIT ने जांच पूरी कर ली। SIT ने 84 पन्नों की रिपोर्ट डीजीपी भूपेंद्र सिंह को सौंपी है।

रिपोर्ट में पुलिस की जांच को घटिया बताया गया है। साथ ही रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इस केस में जांच अधिकार ने अदालत में झूठा बयान दिया था कि आरोपियों के मोबाइल जब्त नहीं किये। सच ये है कि पुलिस ने मोबाइल फोन को जब्त किया था। SIT ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि जांच के दौरान पुलिस ने 29 गलतियां की हैं।

SIT ने रिपोर्ट में चार जांच अधिकारियों की कमियों का जिक्र किया है। 84 पन्नों की रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि जांच अधिकारी ने उस घटनास्थल का दौरान तीन दिन बाद किया, जहां पहलू खान के साथ मारपीट की गई थी। इसके साथ ही अधिकारियों ने फॉरेंसिक टीम को भी नहीं बुलाया था और न ही उन वाहनों की जांच की जिनमें पहलू खान गायों को लेकर आ रहा था।

रिपोर्ट में कहा गया है कि दूसरे अधिकारी ने घटिया तरीके से जांच की। जबकि तीसरे अधिकारी ने चश्मदीदों के बयान ही दर्ज नहीं किए। उन्होंने पहले के आईओ की जांच में सुधार के लिए कोई कोशिश नहीं की। चौथे अधिकारी ने बिना किसी सबूत के छह संदिग्धों के नाम लिखे हैं।

SIT ने जो रिपोर्ट डीजीपी को दी है उसमें उसने बताया है कि इस केस में पहली चार्जशीट 3 जून 2017 को दाखिल की गई थी। जांच अधिकारी परमाल सिंह ने आरोपियों के फोन जब्त किए थे। इसके बाद उन्हें मोबाइल की जांच फोरेंसिक साइंस लैब से कराकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, जिससे जांच के निष्पक्षता पर सवाल खड़े होते हैं।

क्या है मामला?

अलवर में 1 अप्रैल 2017 को गौ तस्करी के शक में कुछ लोगों ने पहलू खान नाम के बुजुर्ग को पीटा। इसमें पहलू खान की मौत हो गई। जबकि वो बेटों के साथ जयपुर के मेले से मवेशियों को खरीद कर हरियाणा के नूह स्थित घर ले जा रहा था। उस वक्त की वसुंधरा सरकार ने जांच के आदेश दिए। जांच के दौरान कई लोगों को गिरफ्तारी हुई, लेकिन सबूतों के अभाव में आरोपी विपिन यादव, रविंद्र यादव, कालू राम यादव, दयानंद यादव, योगेश खत्री और भीम राठी इस साल 14 अगस्त को बरी हो गए थे। इसके बाद राजस्थान सरकार ने मॉब लिंचिंग की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था।

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