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जम्मू-कश्मीर को 3 हिस्सों में बांट देगी मोदी सरकार? घाटी में करीब 75 हजार सुरक्षाबलों की तैनाती का मकसद क्या है?

जम्मू-कश्मीर में असमंजस के हालात बरकरार हैं। घाटी में सरकार ने शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा रोक दी थी। साथ ही सैलानियों को भी वापस बुला लिया था।

सरकार के इस कदम के बाद घाटी की राजनीतिक पार्टियों में हलचलें और तेज हो गई हैं। आनन फानन में कश्मीर की पार्टियों ने राज्यपाल से मुलाकात की और अनुच्छेद 35ए को लेकर अपनी चिंता जाहिर की। राजनीतिक पार्टियों को ये डर सता रहा है कि कहीं जम्मू-कश्मीर को अलग पहचान देने वाले अनुच्छेद 35ए को मोदी सरकार हटा न दे, जिसे लेकर कई बार मोदी सरकार के मंत्री बड़े बयान दे चुके हैं।

इन खबरों के बीच सबसे बड़ी खबर ये आ रही है कि जम्मू-कश्मीर को सरकार तीन हिस्सों में बांट सकती है। ‘नवजीवन वेबसाइट’ पर सूत्रों के हवाले से छपी एक खबर में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को मोदी सरकार तीन हिस्सों में बांट सकती है, जिसमें जम्मू को पूर्ण राज्य का दर्जा और लद्दाख और कश्मीर दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जा सकता है। हालांकि रिपोर्ट में इन खबरों की पुष्टि नहीं की गई है, लेकिन सरकार के ताजा कदम से इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर घाटी में सरकार ने 40 हजार सुरक्षाबलों की तैनाती के बावजूद 10 हजार सैनिकों की अतिरिक्त तैनाती की थी। इसके बाद भी सरकार ने 25 हजार सुरक्षा बलों को घाटी में भेजा। यही नहीं सरकार ने सेना और वायुसेना को भी हाई अलर्ट पर रखा है। गौर करने वाली बात ये है कि शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में सेना की ओर से ये कहा गया था कि बॉर्डर पर शांति है। ऐसे में सवाल ये कि अगर बॉर्डर पर हालात सामान्य हैं तो इतने बड़े पैमाने पर घाटी में सुरक्षा बलों की तैनाती आखिर क्यों की गई है।

प्रेस कांफ्रेंस के दौरान जम्मू-कश्मीर के डीजीपी ने ये कहा था कि घाटी में आतंकवादी बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं, ऐसी सूचना मिली है, जिसके चलते सुरक्षा कड़ी की गई है। इससे पहले घाटी में कई बड़ी घटनाओं को आतंकी अंजाम दे चुके हैं, लेकिन उन घटनाओं से पहले शायद ही कभी इतनी बड़ी संख्या में घाटी में सुरक्षा बलों की तैनाती की गई हो। ऐसे में सवाल उठता है कि इस बार इतनी बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती क्यों?

अनुच्छेद 35ए क्या है:

  • अनुच्छेद 35ए से जम्मू-कश्मीर को यह अधिकार मिला है कि वह किसे अपना स्थाई निवासी माने और किसे नहीं।
  • राज्य सरकार सिर्फ उन्हें स्थाई निवासी मानती है जो 14 मई, 1954 के पहले कश्मीर में बसे थे।
  • राज्य के स्थाई निवासियों को ही जमीन खरीदने, रोजगार पाने और सरकारी योजनाओं में विशेष अधिकार मिले हैं।
  • देश के किसी दूसरे राज्य का निवासी जम्मू-कश्मीर में स्थाई निवासी के तौर पर नहीं बस सकता।
  • दूसरे राज्यों के निवासी कश्मीर में जमीन नहीं खरीद सकते हैं। साथ ही राज्य सरकार उन्हें नौकरी भी नही दे सकती है।
  • जम्मू-कश्मीर की कोई महिला भारत के किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उसके अधिकार छीन लिए जाते हैं।

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