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जिस उम्र में बीजेपी के वरिष्ठ नेता मार्गदर्शक मंडल का हैं हिस्सा, उसी उम्र में दिल्ली कांग्रेस की अध्यक्ष बनीं शीला

जिस उम्र में बीजेपी अपने वरिष्ठ नेताओं को मार्गदर्शक मंडल में भेज देती है। उसी उम्र में कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। कांग्रेस ने शीला दीक्षित को 80 साल की उम्र में एक बार फिर दिल्ली का अध्यक्ष बनाया है।

कांग्रेस पार्टी ने गुरुवार को शीला दीक्षित को दिल्ली की कमान सौंपने का ऐलान किया। दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने के बाद शीला दीक्षित ने मीडिया से बात की। उन्होंने कहा, “पार्टी ने जिम्मेदारी दी उसके लिए मैं धन्यवाद कहना चाहूंगी। उम्र और गठबंधन पर  मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं दूंगी। गठबंधन जब फाइनल होगा तब उस पर बात की जाएगी। फिलहाल ये बात सिर्फ मीडिया में है।”

हर कोई ये सवाल पूछ रहा है कि आखिर युवाओं को तरजीह देने और उन्हें जिम्मेदारी सौंपने की बात करने वाले राहुल गांधी ने शीला दीक्षित को इस उम्र में राजधानी की कमान क्यों सौंपी। मीडिया रिपोर्ट्स में इस सवाल का जवाब दिया गया है। खबरों के मुताबिक, जबसे शीला दीक्षित ने दिल्ली कांग्रेस से दूरी बनाई तबसे पार्टी गुटबाजी के दौर से गुजर रही थी। आने वाले लोकसभा चुनाव और फिर दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए पार्टी ने शीला दीक्षित को कमान सौंपी है। खबरों के मुताबिक, कांग्रेस को पार्टी के अंदर कोई दूसरा इस कद और भरोसे का नेता नहीं मिला, जिसके चलते उसने शीला पर भरोसा जताया।

अगर आप ध्यान दें तो राहुल गांधी ने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में मिली जीत के बाद वरिष्ठ नेताओं को तरजीह दी थी, और राजस्थान में अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश में कमलनाथ और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल को सीएम पद की कमान सौंपी थी। साफ है पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव को हलके में नहीं लेना चाहती है। ऐसे में चुनाव को ध्यान में रखकर राहुल गांधी ने शीला के हक में फैसला लिया है।

खबरों में कहा जा रहा है कि आगामी लोकसभा और दिल्ली में होने वाले विधानसा चुनाव से पहले कांग्रेस पार्टी गठबंधन करने की तैयारी कर रही है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस, केजरीवाल की पार्टी के साथ गठबंधन कर आगामी चुनाव लड़ सकती हैं। इससे पहले पार्टी को दिक्कत ये आर रही थी कि उसके तत्कालीन अध्यक्ष अजय माकन की केजरीवाल से नहीं बनती थी। कहा जा रहा है कि इस बात को ध्यान में रखकर भी अध्यक्ष पद पर फैसला लिया गया है।

शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। वो 2014 में केरल की राज्यपाल भी रहीं। ऐसे में कांग्रेस को ये उम्मीद है कि उसे शीला दीक्षित का ये अनुभव काम आएगा। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव शीला दीक्षित की अगुवाई में लड़ा था, जिसमें उसे बड़ी हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि अब हालात बदल चुके हैं। लेकिन उतने भी बेहतर नहीं हैं जितनी की पार्टी उम्मीद कर रही है।

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