फोटो: सोशल मीडिया
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में प्रदर्शन जारी है। CAA का मसला अब सुप्रीम कोर्ट की चौखट पर भी पहुंच गया है। CAA का समर्थन और विरोध करने वाले दोनों ही तरफ से अदालत में याचिका दायर की गई है।
हालांकि एक्ट का समर्थन करने वाली याचिका पर अदालत ने तुरंत सुनवाई से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि देश अभी मुश्किल दौर से गुजर रहा है। जब हिंसा रुकेगी, तब वो इस पर सुनवाई करेंगे। याचिका पर हैरानी जताते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, ”पहली बार है जब कोई देश के कानून को संवैधानिक करार देने की मांग कर रहा है, जबकि हमारा काम वैधता जांचना है।’’ बेंच में शामिल जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जब हिंसा का दौर थम जाएगा, तब कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करेंगे।”
याचिका में क्या कहा गया है?
याचिका वकील विनीत ढांडा की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि सीएए को वैध घोषित किया जाए। साथ ही प्रदेशों को ये निर्देश दिए जाएं कि वो कानून को लागू करें। याचिका में यह भी कहा गया कि अफवाहें फैलाने के लिए कार्यकर्ताओं, छात्रों और मीडिया पर भी कार्रवाई की जाए।
कानून के विरोध में प्रदर्शन जारी
सीएए को लेकर पूरे देश में प्रदर्शन जारी है। कानून बनने के बाद पिछले साल दिसंबर में पूर्वत्तर से शुरू हुआ प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया है। देश के करीब-करीब हर राज्य में इस एक्ट को लेकर प्रदर्शन हो रहा है। इस दौरान कई जगहों पर हिंसा की घटना भी हुई है। इस दौरान 21 लोगों की जान भी गई है। 2014 में मोदी के सत्ता संभालने के बाद से यह अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के आश्वासन के बाद भी लोग सरकार पर विश्वास नहीं कर पा रहे।
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