उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ में साल 2013 में डीएसपी जियाउल हक (DSP Ziaul Haque) की हत्या के मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने 10 दोषियों को आजीवन कारावस की सजा सुनाई है। साथ ही विशेष न्यायाधीश धीरेंद्र कुमार ने दोषियों पर कुल 1,95,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया।
इससे पहले अदालत ने चार अक्टूबर को मामले में आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें तुरंत गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। अपने फैसले में न्यायाधीश ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ने बिना संदेह के यह साबित कर दिया है कि दोषियों ने ही अधिकारी की हत्या की है। सजा सुनाए जाने के समय सभी दोषियों को अदालत में पेश किया गया। इसके बाद सभी को जेल भेज दिया गया।
कोर्ट ने इस मामले में जिन्हें दोषी ठहराया था उनमें घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी, फूलचंद यादव, पवन यादव, मंजीत यादव, और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल शामिल हैं।
सीबीआई के प्रवक्ता ने बताया कि 4 अक्टूबर को विशेष अदालत ने 10 आरोपियों को दोषी ठहराया था, जबकि एक व्यक्ति सुधीर यादव को बरी कर दिया था। अदालत ने 10 आरोपियों को हत्या, शस्त्र अधिनियम और अन्य अपराधों के तहत दोषी ठहराया था।
डीएसपी जियाउल हक (DSP Ziaul Haque) की 2 मार्च 2013 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के हथिगवां थाना क्षेत्र में हत्या कर दी गई थी। उनकी पत्नी परवीन आजाद ने मामले में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया पर भी आरोप लगाए थे। हालांकि सीबीआई ने राजा भैया को क्लीनचिट दे दी थी।
जियाउल हक के परिजनों के मुताबिक, दो मार्च 2013 को बलीपुर गांव में शाम को प्रधान नन्हे सिंह यादव की हत्या से हुई थी। इसके बाद प्रधान के समर्थक बड़ी संख्या में हथियार लेकर बलीपुर गांव पहुंच गए थे। गांव में बवाल मच गया था। कुंडा के कोतवाल सर्वेश मिश्र अपनी टीम के साथ प्रधान के घर की तरफ जाने की हिम्मत नहीं जुटा सके। तभी जियाउल हक गांव में पीछे के रास्ते से प्रधान के घर की तरफ बढ़े।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक, गांव वाले गोलियां चला रहे थे, जिससे डरकर सीओ की सुरक्षा में तैनात गनर इमरान और कुंडा के एसएसआई विनय कुमार सिंह खेत में छिप गए। डीएसपी जियाउल हक (DSP Ziaul Haque) के गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों ने उन्हें घेर लिया। इस दौरान गोली लगने से प्रधान के छोटे भाई सुरेश यादव की भी मौत हो गई।
सुरेश की मौत के बाद जियाउल हक (DSP Ziaul Haque) को घेर लिया गया और पहले लाठी-डंडों से पीट-पीटकर उन्हें अधमरा किया कर दिया। इसके बाद गोली मारकर उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद रात 11 बजे बड़ी संख्या में पुलिस बल बलीपुर गांव पहुंची और जियाउल हक की तलाश शुरू की। आधे घंटे बाद उनका शव प्रधान के घर के पीछे पड़ा मिला।
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