कोरोना महामारी से लड़ने के लिए एक तरफ सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है। वहीं दूसरी तरफ लाख कोशिशों के बावजूद हर बढ़ते दिन के साथ मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।
अब एसिंप्टोमैटिक कोरोना मरीजों ने सरकार की चिंता और बढ़ा दी है। दून मेडिकल अस्पताल में भी भर्ती ज्यादातर मरीजों में एसिंप्टोमैटिक कोरोना पाया गया है। एसिंप्टोमैटिक वो मरीज हैं जिनमें कोरोना के लक्षण जैसे खांसी, जुकाम, बुखार और सांस लेने में दिक्कत नहीं पाई गई। ऐसे में डॉक्टरों के लिए ये पता लगा पाना काफी मुश्किल हो जाता है कि ये मरीज कोरोना पॉजिटिव है या नहीं और ये स्वास्थ्य विभाग के लिए मुमकिन नहीं कि देश या प्रदेश के सभी सदस्यों का कोरोना टेस्ट कराए। क्योंकि टेस्ट की लागत काफी ज्यादा आती है।
एसिंप्टोमैटिक कोरोना मरीजों की वजह से सबसे बड़ी परेशानी ये है कि उन्हें खुद नहीं पता होता कि वो वायरस से संक्रमित हैं। इस दौरान वो अनजाने में कई और लोगों से मिलने पर कोरोना से संक्रमित कर देते हैं। राजकीय दून मेडिकल अस्पताल के डिप्टी एमएस और कोरोना के स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. एनएस खत्री ने बताया कि भर्ती होने वाले कई कोरोना पॉजिटिव कोरोना के बिना प्राथमिक लक्षण वाले हैं। इसलिए सभी को मास्क पहनना बहुत जरूरी है।
मास्क पहनना जरूरी हुआ
एसिंप्टोमैटिक कोरोना मरीज संक्रमण फैलाने में ज्यादा खतरनाक हैं। इसलिए इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च नई दिल्ली तरफ से गाइडलाइन जारी की गई और कहा गया है कि कोई भी शख्स चाहे वो स्वस्थ हो या ना हो उसे मास्क पहनना जरूरी है। इसके साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग का खास ख्याल रखना है। बार-बार हाथ को साबुन से धोते रहना है और हाथों को आंख, कान, नाक पर छूने से बचें।
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