फोटो: सोशल मीडिया
उत्तराखंड के हरिद्वार में अगले साल होने वाले महाकुंभ की तैयारी जोरों पर चल रही है। इस मौके को खास बनाने के लिए सरकार और प्रशासन अपने स्तर पर हर मुमकिन कोशिश में जुटा है।
ये अकेला ऐसा मेला है जहां करोड़ों श्रद्धालु ज्योतिष के आधार पर जुटते हैं। बगैर किसी न्योते के श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। कुंभ किसी व्यक्ति या परिवेश विशेष का पर्व नहीं है। यह जनकुंभ है। हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आम आदमी से लेकर साधु-संत और खास लोगों के जमावड़े लगते हैं।
कुंभ का आयोजन चारों नगरों में 12 साल बाद होता है। कुंभ का संयोग ग्रहों के गुरु बृहस्पति और भगवान भास्कर की चाल पर निर्भर है। बृहस्पति कुंभ और सूर्य मेष राशि में आते हैं तभी कुंभ महापर्व का योग बनता है। आचार्य प्रियव्रत शास्त्री बताते हैं कि अगले साल पांच अप्रैल को बृहस्पति का आगमन कुंभ राशि में होगा। जबकि सूर्य हर साल की तरह 14 अप्रैल को मेष राशि में प्रविष्ट होंगे। परिणाम स्वरूप कुंभ का एकमात्र योग 14 अप्रैल 2021 में बनेगा। उसी दिन आकाश से अमृत वृष्टि हरकी पैड़ी ब्रह्मकुंड पर होगी।
इसी अमृत गंगा में स्नान कर अमरत्व पाने की लालसा में लोग कुंभ नगरी में जुटेंगे। शाही स्नानों के लिए तीन दिन और नियत हैं। हालांकि, कुंभ का साल होने से मकर संक्रांति पर्व पर भी स्नान के लिए लोगों का सैलाब उमड़ेगा। 2021 में होने वाले कुंभ में भी देश-विदेश के श्रद्धालु शिव और गंगा की धर्मनगरी हरिद्वार में जुटेंगे।
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