महेंद्र सिंह धोनी के इंटरनेशनल क्रिकेट को अलविदा कहने के बाद से ही पूरे देश के साथ ही उत्तराखंड के लोग भी उन्हें बहुत मिस कर रहे हैं, क्योंकि पहाड़ों से कैप्टन कूल का बहुत ही खास रिश्ता है।
पहाड़ों के लोग चाहते हैं कि धोनी अब उत्तराखंड आएं और यहां लोगों के लिए कुछ करें। आपको बता दें कि धोनी का पैतृक गांव अल्मोड़ा के ल्वाली में हैं। हालांकि करीब 15 साल से धोनी यहां आए तक नहीं हैं। महेंद्र सिंह धोनी अपने परिवार समेत आखिरी बार 2004 में अपने गांव गए थे। दरअसल बाकी प्रदेशवासियों की तरह ही धोनी के पिता भी करीब 40 साल पहले रोजगार की तलाश में अपने गांव से पलायन कर गए थे और झारखंड के रांची में जाकर बस गए। हालांकि आज भी धोनी के पिता धार्मिक आयोजनों में अपने गांव आते हैं, लेकिन धोनी लंबे वक्त से यहां नहीं आए।
गांव के लोग चाहते हैं कि धोनी रिटयरमेंट के बाद अब अपने गांव आएं और जिस रोजगार की वजह से उनके पिता को पलायन करना पड़ा था। उसको लेकर शहर के लोगों के लिए कुछ करें। साथ ही लोग ये भी चाहते हैं कि अब धोनी उत्तराखंड में ही बस जाएं। आपको बता दें कि धोनी की पत्नी साक्षी भी देहरादून की मूल निवासी हैं। महेंद्र सिंह धोनी अक्सर अपने परिवार के साथ छुट्टी बिताने के लिए देहरादून मसूरी आते रहते हैं।
मूलभूत सुविधाओं से वंचित धोनी का ‘गांव‘
क्रिकेट के जरिये पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवा चुके महेंद्र सिंह धोनी के अपने पैतृक गांव में क्रिकेट का एक भी ढंग का मैदान नहीं है। हालांकि समीपवर्ती गांव में पहले खेल मैदान बनाया गया, लेकिन मूल गांव के ग्रामीण आज भी धोनी के नाम का खेल मैदान बनने की राह देख रहे हैं। हालत ये है कि धोनी के पैतृक गांव में पक्की सड़क तक नहीं है। आपको बता दें कि स्वतंत्रता दिवस यानि 15 अगस्त के दिन महेंद्र सिंह धोनी और सुरेश रैना ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। हालांकि वो IPL में अभी भी खेलते रहेंगे।
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