गढ़वाल के चार युवकों ने गोबर को अपना रोजगार का जरिया बनाया और आज अच्छी कमाई कर रहे हैं।
कोरोना महामारी के इस दौर में करोड़ों लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी। इसके बाद कई लोगों ने घर चलाने के लिए स्वारोजगार का रास्ता अपनाया और आज काफी बेहतर कर रहे हैं। गढ़वाल के बमोली के रहने वाल विजेंद्र, संदीप, संतोष और मनीष की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। कोरोना काल में इन चारों की भी नौकरी चली गई। मजबूरी में चारों गांव लौटे और यहां आकर स्वरोजगार की तरफ कदम बढ़ाया। चारों गोबर से दीया बना कर उसे बेच रहे हैं। इससे इनकी अच्छी कमाई भी हो रही है।
लॉकडाउन से पहले विजेंद्र रावत हरिद्वार में नौकरी करते थे, तो संदीप हिमाचल में जॉब कर रहे थे। मनीष और संतोष रोजगार के लिए दिल्ली में थे, लेकिन नौकरी जाने के बाद अपने गांव बमोली आ गए। यहां आने के बाद पहले इन लोगों ने गोबर का दिया बनाने की ट्रेनिंग ली और उसके गांव में ही इसका कारोबार शुरू किया। शुरुआत में तो इन्हें सिर्फ गांव से ही गोबर के दिये का ऑर्डर मिल रहा था, लेकिन अब पड़ोसी शहरों से भी इन्हें ऑर्डर मिलने लगे हैं।
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