उत्तराखंड का सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से गौरवशाली इतिहास रहा है।
नैनीताल का हिमालय संग्रहालय इसी गौरवशाली अतीत से वर्तमान को जोड़ने का काम कर रहा है। पौराणिक इतिहास से लेकर स्वाधीनता संग्राम के सफर के योगदान को बयां करता है हिमालय संग्रहालय। ये संग्राहलय छात्रों से लेकर आम लोगों में इतिहास की समझ विकसित करने करने के साथ ही उन्हें देवभूमि की संस्कृति और इतिहास से भी रूबरू कराता है। अब इस संग्रहालय को सांस्कृतिक पर्यटन से भी जोड़ने की कवायद भी की जा रही है। जल्द भी अब यहां पहुंचने वाले टूरिस्ट पूरे उत्तराखंड की संस्कृति से रूबरू हो पाएंगे।
इस संग्रहालय की शुरुआत 1987 में की गई थी। बाद में परिसर के ऐतिहासिक भवन में इसे ट्रांसफर कर दिया गया था। 12 थीमों में स्थापित इस संग्रहालय में समूचे उत्तराखंड के ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद है। 2000 साल पहले से लेकर आजादी तक की यादों से भरा है संग्रहालय। यहा सबसे प्राचीन अनुमानित 2000 वर्ष शुंग कालीन पत्थर की मूर्ति, उत्खनन से मिले बर्तन, कुषाण कालीन स्वर्ण मुद्रा के साथ ही महात्मा गांधी के कुमाऊं आगमन और उत्तरांखड के तमाम स्वतंत्रता सेनानियों की फोटो मौजूद है। इसके अलावा हाथों से लिखी पांडुलिपियो का समृद्ध संकलन है।
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