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उत्तराखंड स्पेशल: फूलों की घाटी का इतिहास जानते हैं आप?

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित फूलों की घाटी के बारे में जानते हैं आप? फूलों की घाटी पूरी दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है।

देश और दुनिया के लाखों श्रद्धालु फूलों की घाटी की शैर करने लिए आते हैं। ये घाटी 87.50 किमीटर वर्ग क्षेत्र में फैली है। यहां पर 500 किस्म के फूल देखने को मिल सकते हैं। इसका बेहद रोचक इतिहास है। फूलों की घाटी का जिक्र रामायण में भी है। लंका से युद्ध के दौरान जब भगवान राम के भाई लक्ष्मण मुरक्षित हो गए तब हनुमान जी इसी फूलों की घाटी में आए थे। जब उन्होंने संजीवनी नहीं मिली तो वे यहां से पहाड़ ही उठाकर ले गए थे, जिसमें संजीवनी उगती थी। घाटी में उगने वाले फूलों से दवाई भी बनाई जाती है।

ऐसी मान्यता है कि फूलो की घाटी में परियां रहती हैं। यही वजह है कि लंबे वक्त तक लोगों ने इस घाटी का रुख नहीं किया। फूलों की घाटी की खोज सबसे पहले फ्रैंक स्मिथ ने 1931 में की। फ्रैंक ब्रिटिश पर्वतारोही थे। फ्रेंक और उनके साथी होल्डसवर्थ ने इस घाटी की खोज की थी। इसके बाद फूलों की घाटी मशहूर पर्यटल स्थल बन गया। इस घाटी को लेकर स्मिथ ने ‘वैली ऑफ फ्लॉवर्स’ किताब भी लिखी थी।

फूलों की घाटी को यूनेस्को ने 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी ये घाटी बेहद खूबसूरत है। ये इलाका बागवानी विशेषज्ञों और फूल प्रेमियों के लिए बेहद खास है।

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