उत्तराखंड में देवी भगवती के नौ रूपों यथा- शैलपुत्री, ब्रहृमचारिणी, चन्द्रघंटा, कुशमांडा, स्कन्दमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री के अलावा कई स्थानीय रूप हैं।
इनमें नंदा राजराजेश्वरी, चन्द्रबदनी, सुरकंडा, कोट भ्रामरी, मठियाणा, कुंजापुरी, धारी देवी, ज्वालपा, गढ़देवी, कंसमर्दिनी, अनुसूया, पुण्यासणी, पाताल भुवनेश्वरी, झूलादेवी, भद्रकाली और बराही देवी हैं। लोकदेवी झालीमाली देवी इन्हीं में शामिल है। यह भी मान्यता है कि नंदा, भ्रामरी, बाराही, भीमा, बालासुन्दरी, शाकम्बरी देवी का प्राचीन रूप झालीमाली है।
झालीमाली का मतलबह है, सुन्दर, सजी-धजी दिखने वाली देवी। झालीमाली शब्द झालमाल से बना है। जिसका भाव है सम्पूर्णता के साथ फला-फूला समृद्ध समाज। इस तरह झालीमाली देवी सम्पूर्णता की प्रतीक है। झालीमाली को अग्नि की देवी माना गया है। संपूर्ण हिमालयी क्षेत्र में अग्नि देव नहीं, देवी के रूप प्रतिष्ठापित हुई है। हिमालयी क्षेत्र में अग्नि देवी को झालीमाली, ज्वालपा और ज्वाला आदि नामों से जाना जाता है। एक जागर में ज्वालपा को झालीमाली की छोटी बहिन कहा गया है। झालीमाली, ज्वाला और ज्वालपा की ज्योति को अन्य स्थानों में ले जाने की परम्परा है।
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