फोटो: सोशल मीडिया
उत्तराखंड में आई तबाही के बाद केंद्र सरकार ने ये फैसला किया है कि अब ग्लेशियर की मॉनिटरिंग की जायेगी ताकि आने वाली तबाही का पहले ही पता लगा लिया जाये।
वैसे ये कोई आसान काम नहीं है क्योंकि उत्तराखंड के गंगा बेसिन में छोटे-बड़े करीब एक हज़ार ग्लेशियर हैं। वैसे ग्लेशियर का फटना एक प्राकृतिक आपदा है लेकिन वैज्ञानिकों के सामने सबसे बड़ा सवाल ये कि फरवरी में ठंड के महीने में ये ग्लेशियर फटा कैसे। आपको वीडियो के जरिये समझाते हैं कि आखिर ग्लेशियर पिघलता कैसे है और जब बर्फ का हिस्सा टूट कर गिरता है तो कैसे भयंकर तबाही मचती है।
माना जा रहा है कि उत्तराखंड के चमोली में भी कुछ ऐसा ही हुआ होगा। बर्फ का हिस्सा टूट कर गिरा। जिसके बाद सैलाब आ गया। जो अपने साथ सब कुछ बहा ले गया।
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