उत्तराखंड का 20 साल का सफर, जानिये कब, कौन, कितने दिन रहा मुख्यमंत्री?
उत्तराखंड को राज्य बने 20 साल हो गए हैं। इन 20 सालों में प्रदेश ने हर मोर्चे पर तरक्की की है और एक मुकाम हासिल किया है।
उत्तराखंड के नए राज्य के बनने की कहानी जितना संघर्षों से भरी है, उतनी ही उसके बाद की भी है। इस बीच सूबे की सियासत ने भी कई उतार-चढ़ाव देखे है। 20 साल में ये राज्य चार निर्वाचित और एक अंतरिम सरकार और नौ मुख्यमंत्री देख चुका है। इन नौ मुख्यमंत्रियों में एनडी तिवारी ही अकेले हैं, जिन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है। एनडी तिवारी के बाद मौजूदा सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के अपना कार्यकाल पूरा करने की उम्मीद है। 18 मार्च 2017 को वह मुख्यमंत्री बने थे। उनका साढ़े तीन साल का कार्यकाल पूरा हो गया है। इसके अलावा कोई भी सीएम पांच साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है। किसी ने किसी वजहों से हमेशा उसे बीच में ही सूबे की मुखिया की कुर्सी छोड़नी पड़ी है।
कब, कौन, कितने दिन रहा मुख्यमंत्री?
नौ नवंबर 2000 को राज्य का गठन हुआ। तब बीजेपी के अंतरिम सरकार की कमान नित्यानंद स्वामी के हाथों में सौंपी गई। स्वामी एक साल भी कुर्सी पर नहीं रह सके। उनकी जगह पर भगत सिंह कोश्यारी को सीएम बना दिया गया। 2002 में पहली कांग्रेस को पहली निर्वाचित सरकार बनाने का मौका मिला। एनडी तिवारी मुख्यमंत्री बने। एनडी तिवारी ने अपना कार्यकाल जरूर पूरा किया, लेकिन इस दौरान उन्हें पार्टी की खेमेबाजी का सामना कई बार करना पड़ा।
इसके बाद 2007 कमान जनरल बीसी खंडूड़ी के हाथों में आई। खंडूड़ी सिर्फ दो साल की सत्ता के शीर्ष पर बने रह सके। इसके बाद उन्हें हटा कर रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन उन्हें भी जल्द ही रुख्सत होना पड़ा। फिर जनरल के हाथों में सीएम की बागडोर थमा दी गई। 2012 में कांग्रेस ने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाया। बहुगुणा को दो साल में ही कुर्सी छोड़नी पड़ी।
इसके बाद प्रदेश की कमान हरीश रावत के हाथों में थमा दी गई। उन्हें भी अपने कार्यकाल के दौरान प्रदेश कांग्रेस की सबसे बड़ी बगावत का सामना करना पड़ा। नौ विधायक कांग्रेस से बगावत कर बीजेपी में शामिल हो गए। हरीश रावत के कार्यकाल में विधायकों की बगावत के बाद बीच में राष्ट्रपति शासन भी रहा। 2017 में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला। सत्ता की कमान त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों में सौंपी गई।