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कोरोना संकट: उत्तराखंड में अब इस तरह जमातियों को ढ़ूंढा जा रहा

पूरे देश की तरह उत्तराखंड में जमातियों की वजह से कोरोना के केस में काफी तेजी से इजाफा हुआ है। ये तादाद लगातार बढ़ रही क्योंकि कुछ जमाती अलग-अलग जगहों पर छिपे हैं और वो अपनी जानकारी प्रशासन को नहीं दे रहे हैं।

प्रशासन ने अब उन्हें ढ़ूंढ निकालने का नया तरीका इजात किया है। देहरादून में कोरोना संक्रमण को देखते हुए बफर जोन घोषित किए गए क्षेत्रों में मरीजों को गूगल मैपिंग के सहारे ढूंढा जा रहा है। इसमें वो लोग भी शामिल हैं जो निजामुद्दीन मरकज के प्रोग्राम में शामिल होकर लौटे हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने गूगल मैप के जरिये खाका खींचा है। इससे शहर की 100 से ज्यादा कॉलोनियों और बस्तियों के हजारों लोग इस दायरे में आ रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग एक तरफ तो लिस्ट तैयार कर ही रहा है, साथ ही इन इलाकों में घर-घर जाकर स्क्रीनिंग भी की जा रही है।

उन इलाकों में पुलिस और प्रशासन का पहरा है जहां जमाती और उनके संपर्क में आए दूसरे लोग ज्यादा संख्या में कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। भगत सिंह कॉलोनी, कारगी ग्रांट की मुस्लिम बस्ती, लक्खीबाग की मुस्लिम बस्ती और डोईवाला में केशवपुरी और झबरावला बस्ती को स्वास्थ्य विभाग ने हॉटस्पॉट घोषित किया हुआ है।

स्वास्थ्य विभाग ने इन हॉटस्पॉट घोषित किए गए इलाकों के लोगों को या ता घरों में क्वारंटीन किया है या फिर उन्हें क्वारंटीन सेंटर भेजा गया है। कुछ लोगों को अस्पतालों में भी भर्ती कराया गया है। इन इलाकों के तमाम लोगों की स्क्रीनिंग कर सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं। हॉटस्पॉट घोषित किए गए इलाकों के सात किलोमीटर के दायरे वाले बफर जोन में स्वास्थ्य विभाग का जोर स्क्रीनिंग पर है। सात किलोमीटर के दायरे को जल्द कैसे चिन्हित किया जाए, इसके लिए काफी मंथन के बाद गूगल मैप का सहारा लिया गया।

बफर जोन इलाकों में स्वास्थ्य विभाग की टीम घर-घर जाकर लोगों से खासी, जुकाम, तेज बुखार होने या उनकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री होने के बारे में पूछ रही है। उसी हिसाब से उन्हें अस्पताल भेजा जाल रहा है। या फिर कुछ को घरों में ही क्वारंटीन किया जा रहा है।

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