मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से ग्राम्य विकास विभाग की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिए कि मनरेगा के कार्यों की निरंतर निगरानी की जाए।

निर्धारित लक्ष्य समय पर पूर्ण किए जाए। बंजर भूमि को आबाद करने के लिए मनरेगा के अंतर्गत रोजगार कार्यक्रम प्रारंभ किया जाए। प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना का भी नियमित समीक्षा की जाए। इस योजना के तहत जो भी सड़के बनाई जा रही हैं, सडकों का आरटीओ से पास कराने की कार्रवाई में तेजी लाई जाए। 10 करोड़ से अधिक के कार्यों का निरीक्षण मुख्य अभियंता स्वयं करेंगे एवं उनकी जांच भी करेंगे।

मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कार्यों की गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाए। कोई भी शिकायत मिलने पर संबंधित के खिलाफ सख्त कारवाई की जाएगी। पलायन को रोकने के लिए कारगर कदम उठाये जाएं। पलायन को रोकने के लिए पर्वतीय क्षेत्रों में रोजगार के संसाधन बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जाए। पलायन के कारणों के साथ ही इसको रोकने के लिए किन-किन प्रयासों की जरूरत है, इसका भी पूरा विश्लेषण किया जाए।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, मनरेगा, दीनदयाल अंत्‍योदय-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, मुख्यमंत्री सीमांत क्षेत्र विकास योजना एवं ग्राम्य विकास विभाग की अन्य योजनाओं की समीक्षा की। समीक्षा के दौरान उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि जन सरोकारों से जुड़ी इन योजनाओं को आम जन तक पहुंचाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार भी किया जाए।

प्रत्येक योजना में निर्धारित लक्ष्य समय पर पूर्ण कर लिए जाए। ग्रामीण आर्थिकी में सुधार लाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाए।अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार ने जानकारी दी कि मनरेगा के तहत इस वर्ष राज्य को दो करोड़ 75 लाख मानव दिवस का लक्ष्य मिला था, जो पूर्ण किया जा चुका है। मनरेगा के तहत स्टेट फंड से मनरेगा के तहत 50 दिन के अतिरिक्त रोजगार की व्यवस्था के कैबिनेट के निर्णय के बाद कोविड के दौरान 13 हजार परिवारों को 50 दिन का अतिरिक्त रोजगार मिला।

इस वर्ष राज्य में मनरेगा के तहत एक लाख 80 हजार नए पंजीकरण हुए। जिसमें से एक लाख 44 हजार लोगों ने मनरेगा के तहत कार्य किया। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत इस वर्ष अभी तक 2847 किमी सड़के बनाई जा चुकी हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 12 हजार 421 आवास बनाने का लक्ष्य पूर्ण किया जा चुका है।

ग्रामीण महिलाओं की आजीविका में वृद्धि करने के लिए दीन दयाल अंत्‍योदय राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत राज्य में 32 हजार महिला स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं, जिससे तीन लाख महिलाएं जुड़ी हैं। सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत राज्य के पांच जनपदों (पिथौरागढ़, चम्पावत, चमोली, उत्तरकाशी एवं उधमसिंहनगर) के नौ विकासखंडों में मुलभूत सुविधाओं (संपर्क मार्ग, स्वास्थ्य, पेयजल, शिक्षा) पर विशेष ध्यान दिए जाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। बैठक में अपर सचिव ग्राम्य विकास उदयराज, अपर सचिव डॉ. इकबाल अहमद एवं ग्राम्य विकास विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *