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उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आस्तियों के विभाजन मामले में यूपी को 27.63 करोड़ भुगतान के दिए निर्देश

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने आस्तियों और परिसंपत्तियों के बंटवारे को लेकर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यूपी सरकार को निर्देश दिया कि 27.63 करोड़ रुपये का भुगतान उत्तराखंड परिवहन निगम को तीन हफ्ते के अंदर करे।

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यूपी सरकार की ओर से इससे संबंधित आदेश वापस लेने के लिए दायर प्रार्थना पत्र को भी खारिज कर दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ की अगुवाई वाली पीठ में उत्तराखंड परिवहन निगम की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने उत्तराखंड परिवहन निगम की ओर से कहा गया कि उत्तराखंड सरकार की ओर से निगम को 78.68 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाना है।

इस आशय का एक पत्र निगम के प्रबंध निदेशक की ओर से विगत 21 अक्टूबर को सरकार को भेजा गया है लेकिन अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। प्रबंध निदेशक की ओर से सरका को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि कोरोना महामारी के चलते परिवहन निगम की आय शून्य हो गई थी और इस दौरान निगम को 54.51 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

यही नहीं पर्वतीय क्षेत्रों में बसों के संचालन के लिये भी सरकार को कुछ राशि का भुगतान करना है। इसके बाद अदालत की ओर से परिवहन सचिव को निर्देश दिया गया है कि वो बताएं कि निगम को 78.68 करोड़ रुपये का भुगतान क्यों नहीं किया गया है।

इस मामले में दीपावली की छुट्टी के बाद 17 नवंबर को सुनवाई होगी। अदालत ने उत्तराखंड परिवहन निगम को भी निगम के कर्मचारियों को एक महीने का वेतन के भुगतान के आदेश दिए हैं। निगम की ओर से भी इस पर सहमति दी गई है और कोर्ट ने निगम के वक्तव्य को रिकॉर्ड में ले लिया।

कोर्ट ने यूपी परिवहन निगम को झटका देते हुए निगम की ओर से दायर रिकॉल प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। साथ ही उत्तर प्रदेश परिवहन निगम को 31 अगस्त के आदेश का अनुपालन करने का निर्देश दिया है। जिसमें अदालत ने निगम को निर्देश दिया था कि चार सप्ताह के अंदर 27.63 करोड़ रूपये का भुगतान उत्तराखंड परिवहन निगम को करे। इससे पहले यूपी निगम की ओर से आदेश को वापस लेने के लिये प्रार्थना पत्र दिय गया था जिसे अदालत ने खारिज कर दिया।

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