देश के दूसरे नेताओं की तरह ही मनोहर पर्रिकर के साथ भी कई विवाद जुड़े। बतौर रक्षा मंत्री और गोवा के मुख्यमंत्री उनके कई बयानों की काफी आलोचना भी हुई और उनके कई फैसलों पर भी सवाल खड़े किए गए।
राफेल पर विवाद
वैसे तो मनोहर पर्रिकर के साथ कई विवाद जुड़े, लेकिन सबसे ज्यादा विवाद राफेल डील को लेकर हुआ। इसी साल जनवरी को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी मनोहर पर्रिकर की सेहत जानने के लिए उनसे मुलाकात की। इसके बाद 30 जनवरी को राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ”मैं पर्रिकरजी से मिला था। पर्रिकरजी ने मुझसे खुद कहा है कि डील बदलते समय पीएम ने हिंदुस्तान के रक्षा मंत्री से नहीं पूछा था।”
हालांकि पर्रिकर ने बाद में बाद राहुल गांधी को नसीहत दी और कहा कि कांग्रेस को एक बीमार शख्स से अपनी मुलाकत को मौकापरस्ती के लिए इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। जवाबी खत में पर्रिकर ने का था कि उन्हें दुख हो रहा है कि राहुल ने इस मुलाकात का इस्तेमाल अपने राजनीतिक फायदे के लिए किया। खत में पर्रिकर ने आगे लिखा ”मेरे साथ बिताए गए पांच मिनट में, आपने न तो राफेल पर कुछ कहा और न ही हमने इसके संबंध में कोई चर्चा की।”
इसके बाद राहुल ने कहा, ”पर्रिकर ने कैबिनेट में साफ तौर पर कहा था कि उनके पास राफेल से जुड़ी फाइलें हैं। यह उस ऑडियो टेप में है। पर्रिकर ने कहा था कि उन्हें सीएम के पद से नहीं हटाया जा सकता है क्योंकि जिस दिन ऐसा हुआ उसी दिन वह राफेल से जुड़ी सारी फाइलें जारी कर देंगे।” राहुल गांधी ने कहा, ”पर्रिकर ने इंटरनेशनल मीडिया के सामने कहा कि उन्हें नए कॉन्ट्रैक्ट के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। दस्तावेज कहते हैं कि चौकीदार ने एक समानांतर डील की थी।”
आपको बता दें कि 2 जनवरी को राफेल डील पर जारी विवाद के बीच कांग्रेस ने एक ऑडियो टेप जारी किया था। जिसमें गोवा सरकार के मंत्री विश्वजीत राणे की आवाज होने का दावा किया गया था। इस टेप में राणे कथित तौर पर यह कहते हुए सुने गए थे कि मुख्यमंत्री ने कैबिनेट की बैठक में कहा कि मेरे बेडरूम में राफेल मामले की सभी जानकारियां हैं। हालांकि राणे ने इस ऑडियो टेप को फर्जी करार देते हुए कहा था कि इस टेप के साथ छेड़छाड़ की गई है।
यूरोपीय कचरा प्रबंधन को लेकर जुड़ा विवाद
2013 में इंडिया का एक डेलिगेशन यूरोप गया था। इसमें गोवा के उपमुख्यमंत्री फ्रांसिस डिसूज समेत कई विधायक मौजूद थे। प्रतिनिधिमंडल वहां कचरा प्रबंधन पर अध्ययन करने के लिए गया था। इस यात्रा के दौरान करीब 1 करोड़ रुपए का खर्चा आया था और इसी खर्चे को लेकर पर्रिकर को विवाद का सामना करना पड़ा था।
दावत को लेकर हुआ विवाद
साल 2014 में ब्राजील में हुए फीफा विश्व कप से जुड़ी हुई एक दावत को लेकर भी पर्रिकार पर विपक्ष पार्टी ने हमला किया था। विपक्ष पार्टी का कहना था कि इस दावत के आयोजन पर करीब 89 लाख रुपए का खर्चा आया था और जनता के पैसों को पानी की तरह इस्तेमाल किया गया है।
आमिर खान पर दिया बयान
एक्टर आमिर खान ने देश में कथित इंटॉलरेंस को लेकर बयान दिया था। कहा था कि उनकी पत्नी देश छोड़ कर जाना चाहती थीं। इस पर पर्रिकर ने नाराजगी जताई थी। उन्होंने आमिर का नाम तो नहीं लिया था, लेकिन इशारों-इशारों में कहा था कि जिसे भारत में रहना है उसे राष्ट्रीयता का सम्मान करना चाहिए। जो व्यक्ति देश के खिलाफ बोलते हैं, उसको सबक सिखाना चाहिए। उनके इस बयान की काफी आलोचना हुई थी।
पाकिस्तान को बताया नरक
रक्षा मंत्री रहते हुए उन्होंने पाकिस्तान को लेकर बड़ा बयान दिया था। जिसे लेकर विवाद हो गया था। मनोहर पर्रिकर ने कहा था कि पाक में जाना किसी नरक में जाने से कम नहीं है। पाकिस्तान ने भी उनके इस बयान पर नाराजगी जताई थी।
स्कूलों का नाम बदलने पर विवाद
मुख्यमंत्री रहते हुए मनोहर पर्रिकर ने साल 2001 में गोवा के ग्रामीण इलाकों के सरकारी स्कूलों को विद्या भारती में बदल दिया था। पर्रिकर के इस फैसले की आलोचना की गई थी। वजह ये थी कि विद्या भारती आरएसएस की एक शिक्षा शाखा है।
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