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गुजरात दंगा केस: बिलकिस बानो को 17 साल बाद इंसाफ मिल गया !

गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान सामूहिक बलात्कार का शिकार हुई बिलकिस बानो 50 लाख रुपये बतौर मुआवजा मिलेगा। इसके साथ ही नौकरी और घर मिलेगा।

बिलकिस बानों केस में मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को ये आदेश दिया है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जज दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना की बेंच को गुजरात सरकार ने बताया कि मामले में कार्रवाई करते हुए प्रदेश सरकार ने दोषी पुलिस अधिकारियों की पेंशन वैगरह का लाभ रोक दिया है। आपको बता दें कि दंगों के दौरान अहमदाबाद के करीब हिंसक भीड़ ने गर्भवती बिलकिस बानों के साथ गैंगरेप किया था और उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या कर दी थी।

इससे पहले बिलकिस बानो ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर प्रदेश सरकार की तरफ से 5 लाख रुपये के मुआवजा ठुकराते हुए ये मांग की थी कि उन्हें ऐसा मुआवाजा मिले जो दूसरों के लिए नजीर बने। 29 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात को आदेश दिया था कि दोषी IPS अधिकारियों समेत दूसरे दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। इससे पहले बिलकिस बानो की वकील ने अदालत से कहा था कि राज्य सरकार ने दोषी ठहराए गए पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है।

आपको बता दें कि इस केस में स्पेशल कोर्ट ने 21 जनवरी, 2008 को 11 आरोपियों को उम्र कैद की सजा सुनाई थी। जबकि पुलिसकर्मियों और चिकित्सकों समेत 7 आरोपियों को बरी कर दिया था। हाईकोर्ट ने 4 मई, 2017 को 5 पुलिसकर्मियों और 2 डाक्टरों को ठीक से अपनी ड्यूटी नहीं करने और सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के अपराध में भारतीय दंड संहिता की धारा 218 और धारा 201 के तहत दोषी ठहराया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई, 2017 को दोनों डाक्टरों और IPS अधिकारी आर.एस. भगोड़ा समेत 4 पुलिसकर्मियों की अपील खारिज कर दी थी। इन सभी ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

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